मुंबई में हीटवेव का बढ़ता खतरा : पिछले कुछ वर्षों में मुंबई में गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ा है। 2022 में, मुंबई में मार्च का औसत अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस था, जो 2023 में बढ़कर 34 डिग्री सेल्सियस हो गया। 2024 में यह और चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया, जब अप्रैल में तापमान 39 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के अनुसार, 2024 में भारत भर में 48,001 संदिग्ध हीटस्ट्रोक मामले सामने आए, जिनमें 268 संदिग्ध मौतें हुईं, और इनमें से 159 की पुष्टि हुई। मुंबई में भी हीटस्ट्रोक के मामले बढ़े हैं, खासकर सड़क पर काम करने वाले मजदूरों, रिक्शा चालकों और गरीब तबके के बीच। 2023 में मुंबई में हीटवेव के दौरान कम से कम 15 मौतें दर्ज की गईं थीं, जो गर्मी के प्रभाव को दर्शाती हैं। ALSO READ:
अहमदाबाद की सफल रणनीति : अहमदाबाद ने 2013 में भारत की पहली हीट एक्शन योजना शुरू की थी, जो गर्मी से निपटने में बेहद प्रभावी साबित हुई। अहमदाबाद ने गर्मी से निपटने के लिए जो तरीके अपनाए, वे मुंबई के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। वहां पार्क सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक खुले रहते हैं, ताकि लोग दोपहर की तपिश में छांव तलाश सकें। मॉल्स, सार्वजनिक स्थानों और पार्कों को ठंडक देने वाले केंद्रों में बदला गया है। इसके अलावा, बस स्टॉप, स्कूलों और रिक्शा चालकों के लिए मुफ्त ओआरएस (हाइड्रेशन सॉल्यूशन) का इंतजाम है। हर दिन करीब 7 लाख बस यात्रियों को यह सुविधा राहत देती है। नतीजा? 2010 में जहां हीटवेव ने 1344 लोगों की जान ली थी, वहीं 2022 में यह आंकड़ा 50 से भी नीचे आ गया। ALSO READ:
मुंबई की मुश्किलें : मुंबई में गर्मी से बचाव के लिए कदम उठाने में सुस्ती साफ दिखती है। नगर निगम पार्कों को कुछ घंटों के लिए ही खोलता है, जबकि दोपहर की गर्मी में सड़क पर काम करने वालों को इनकी सख्त जरूरत है। लोकल ट्रेनों और बसों से रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं, मगर स्टेशनों पर पानी या ओआरएस का नामोनिशान नहीं है। समन्वय की कमी और संसाधनों का अभाव अहमदाबाद जैसी योजना को यहां हकीकत बनने से रोक रहा है। 2024 में हीटवेव के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों पर हीटस्ट्रोक के मरीज 30% बढ़ गए। यह आंकड़ा खतरे की घंटी है। ALSO READ:
राहत का रास्ता : मुंबई को अहमदाबाद से सबक लेना होगा। दोपहर में पार्क खोलना, बस स्टॉप और स्टेशनों पर मुफ्त पानी-ओआरएस की व्यवस्था और सार्वजनिक जगहों को ठंडक केंद्र बनाना—ये छोटे कदम बड़ा बदलाव ला सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे उपायों से हीट स्ट्रोक से होने वाली मौतों में 20-25% की कमी मुमकिन है। जलवायु परिवर्तन ने मुंबई में हीटवेव को और खतरनाक बना दिया है। 2025 की शुरुआत और पिछले सालों के आंकड़े इस सच को उजागर करते हैं। अहमदाबाद का मॉडल अपनाकर और तेजी से कदम उठाकर ही मुंबईवासियों को इस संकट से बचाया जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया में हीटवेव की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ रही है। पिछले वर्षों के आंकड़े और 2025 की शुरुआत इस खतरे को स्पष्ट करते हैं। अहमदाबाद की हीट एक्शन योजना एक सफल मॉडल है, जिसे मुंबई सहित कई शहरों में लागू कर गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। अब जरूरत है स्थानीय प्रशासन के समन्वय और त्वरित कार्रवाई की, ताकि लोगों को इस संकट से बचाया जा सके।