राज ठाकरे ने अपनी पार्टी मनसे के स्थापना दिवस कार्यक्रम में कहा कि पीना तो दूर की बात है, मैंने तो गंगा का पानी छूने से भी इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि मेरे एक करीबी गंगाजल लेकर आए थे। खुद को हिन्दूवादी नेता कहने वाले राज ठाकरे के इस बयान पर हिन्दुओं को काफी आश्चर्य हो रहा है।
कौन पिएगा ऐसा पानी? : मनसे नेता ने कहा कि मैंने सोशल मीडिया पर देखा है कि लोग किस तरह अपना शरीर रगड़-रगड़ कर नहा रहे हैं। कई लोग कपड़े धो रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी अभी कुछ साल पहले ही गुजरी है। उस समय लोग अपने चेहरे पर मास्क लगाकर घूमते थे, अब वे प्रयागराज जाकर नहा रहे हैं। ऐसा पानी कौन पियेगा?
हम नदियों को मां कहते हैं, फिर वे स्वच्छ नहीं : गंगाजल के प्रदूषण पर ठाकरे ने कहा कि गंगा को साफ करने वाली बात वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय से सुन रहे हैं। हकीकत यह है कि गंगा अभी तक साफ नहीं हो पाई है। हम इसे गंगा मां कहते हैं, जबकि देश में कोई भी नदी स्वच्छ नहीं है। विदेशों में नदियों को मां नहीं कहा जाता, लेकिन बावजूद इसके वहां नदियां स्वच्छ हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को इस आस्था और अंधविश्वास से बाहर आना चाहिए। अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करना चाहिए।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala