इनकम टैक्स से जुड़े विवाद में शाहरुख खान को बड़ी राहत, ITAT ने री-असेसमेंट किया रद्द
नई दिल्ली: बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान को इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, ट्रिब्यूनल ने फाइनेंशियल ईयर 2011-12 के लिए री-एसेसमेंट की कार्यवाही को निरस्त कर दिया है. ITAT ठोस आधार के आभाव में यह आदेश सुनाया गया है. बता दें कि यह मामला साल 2011 में रीलीज हुई शाहरुख खान मूवी RA.One से जुड़ा था. साल 2011-12 में हुई कमाई से जुड़ा मामला दरअसल, साल 2011-12 में शाहरुख खान ने RA.One फिल्म से उनकी कमाई सहित कुल इनकम 83.42 करोड़ रुपये घोषित की थी. इस पर UK में टैक्स दिया जा चुका था. लेकिन इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने उनके की ओर से दिए गए फॉरेन टैक्स क्रेडिट (FTC) को रिजेक्ट कर दिया और उनकी टैक्सेबल इनकम 84.17 करोड़ रुपये कर दी थी. IT डिपॉर्टमेंट का कहना था कि फिल्म की आधे से ज्यादा शूटिंग यूके में हुई है और शाहरुख खान ने यूके स्थित कंपनी Winford Productions ज्यादातर पैसे लिए हैं. इसके अलावा, आयकर विभाग ने यह आरोप लगाया था कि इससे भारत के रेवेन्यू को नुकसान हुआ है और ऐसे में उनकी FTC क्लेम खारिज कर दिया जाता है. इन आधारों पर ट्रीब्यूनल ने खारिज किया असेसमेंट हालांकि मुंबई की इनकम टैक्स अपीलेट ट्रीब्यूनल (ITAT) ने किंग खान के पक्ष में फैसला सुनाया है और री-असेसमेंट को रद्द कर दिया है. ट्रीब्यूनल ने कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को गौर करते हुए यह फैसला सुनाया है.
- मामला समयसीमा से बाहर था (time barred) और इसमें कोई नई जानकारी सामने नहीं आई थी.
- कोई नया खुलासा या तथ्य सामने नहीं आया था.
- री-असेसमेंट केवल अधिकारी के दृष्टिकोण में बदलाव पर आधारित था, जो कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं था.
विदेशी कमाई के लिए ये है इनकम टैक्स का नियम बता दें कि इनकम टैक्स कानून के तहत, अगर कोई व्यक्ति विदेश में रेजीडेंस या ऑर्डनरी रेजिडेंस के रूप में रहता है तो, उसे अपनी ग्लोबल इनकम पर टैक्स देना पड़ता है. वहीं, 'निवासी लेकिन सामान्य निवासी' (Resident but Not Ordinarily Resident - RNOR) और 'गैर-निवासी' (Non-Resident - NR) केवल भारत में कमाई गई इनकम पर टैक्स चुकाते हैं. डबल टैक्स से बचने के लिए ITR के साथ भरना पड़ता है फॉर्म 67भारत की डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस एग्रीमेंट्स (DTAA) के तहत, भारत और अन्य देशों के बीच ऐसे कर समझौते होते हैं, जो दोहरे टैक्सेशन की समस्या से बचने के लिए टैक्स क्रेडिट और छूट देते हैं. इस प्रकार, टैक्सपेयर्स को एक ही इनकम पर दो बार टैक्स नहीं देना पड़ता है, और उन्हें कई देशों से मिले टैक्स लायबिल्टी का समायोजन करने की सुविधा मिलती है. इस सुविधा का फायदा उठाने के लिए टैक्सपेयर को ITR के साथ फॉर्म 67 निर्धारित डेडलाइन के भीतर दाखिल करना होता है.