IIFA Award के समापन के बाद भड़के राजस्थान के स्थानीय लोक कलाकार, नजरागी जताते हुए बोले 'सरकार ने बिल्कुल भी....'
aapkarajasthan March 11, 2025 07:42 PM

नागौर न्यूज़ डेस्क - राजस्थान की राजधानी जयपुर में 8 और 9 मार्च को आईफा अवॉर्ड समारोह का आयोजन किया गया। इस अवॉर्ड समारोह में सैकड़ों बॉलीवुड और अन्य फिल्मी हस्तियां शामिल हुईं। भजनलाल सरकार ने भी जयपुर में आयोजित आईफा अवॉर्ड समारोह का समर्थन किया। लेकिन आईफा अवॉर्ड समारोह में राजस्थान के किसी भी स्थानीय लोक कलाकार को नहीं बुलाया गया। सरकार की ओर से भी उन्हें किसी तरह की तवज्जो नहीं दी गई। जिसके बाद स्थानीय कलाकारों का दर्द छलक आया है। स्थानीय लोक कलाकारों का भी कहना है कि एक तरफ प्रदेश में कलाकारों की अनदेखी की जा रही है। वहीं इतने बड़े आयोजन में राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध गायकों को तवज्जो नहीं दी गई।

कम से कम हमें तो बुलाते
बिच्छू मारवाड़ी ने हाल ही में आयोजित आईफा अवॉर्ड समारोह में राज्य सरकार की ओर से स्थानीय प्रसिद्ध लोक कलाकारों की उपेक्षा पर दुख जताते हुए कहा कि प्रदेश की राजधानी में आयोजित हो रहे समारोह में राज्य सरकार की ओर से किसी भी कलाकार को न तो बुलाया गया और न ही बुलाया गया। जबकि प्रदेश में कई स्थानीय लोक कलाकार हैं, जिनमें राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध गायक, विभिन्न अन्य कलाकार शामिल हैं। लेकिन उन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया, जो कि बहुत दुख की बात है। वहीं, बॉलीवुड के बड़े कलाकारों को आमंत्रित किया गया, लेकिन अगर कम से कम प्रदेश के लोक कलाकारों को सम्मानित करने के लिए अतिथि के तौर पर वहां बुलाया जाता तो यह हमारे लिए गर्व की बात होती। लेकिन यह बहुत दुख की बात है कि ऐसा नहीं हुआ।

उम्मीद नहीं, लेकिन राजस्थान के कलाकारों को पेंशन जैसी सुविधा मिले
प्रेस वार्ता में लिच्छू मारवाड़ी सहित बॉलीवुड के मशहूर गायक सतीश देहरा, मशहूर भजन गायक दिनेश माली जैसे कलाकारों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान सतीश देहरा ने सरकार से स्थानीय कलाकारों के लिए बुढ़ापे में आर्थिक सहायता पेंशन जैसी योजना लागू करने की मांग की, ताकि उन्हें उम्र के इस पड़ाव में आर्थिक परेशानियों का सामना न करना पड़े। वे अपने परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर सकें। साथ ही देहरा ने कहा कि अगर सरकार हमारी बात नहीं सुनती और लगातार अनदेखी करती है तो हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है। लेकिन अगर सरकार इस ओर ध्यान दे तो स्थानीय लोक कलाकारों को बुढ़ापे में आर्थिक मदद मिल सकेगी।

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