गाजीपुर में होली पर मानवता की मिसाल: लावारिस शवों का अंतिम संस्कार
Gyanhigyan March 16, 2025 07:42 PM
कुंवर वीरेंद्र सिंह का अनोखा कार्य

कुंवर वीरेंद्र सिंह अब तक 2000 से ज्यादा लाशों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार.


इस वर्ष होली का त्योहार जहां लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मना रहे थे, वहीं गाजीपुर का एक युवा लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में व्यस्त था। कुंवर वीरेंद्र सिंह, जिन्हें लावारिसों का वारिस कहा जाता है, अब तक 2000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।


होली के दिन भी उन्होंने अपने संकल्प को नहीं छोड़ा। चेहरे पर रंग होने के बावजूद, वह मॉर्चरी हाउस पहुंचे और लावारिस शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उसे हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया।


जब पूरे देश में होली का जश्न मनाया जा रहा था, कुंवर वीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर मानवता का संदेश दिया। गाजीपुर में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना हमेशा से एक चुनौती रही है, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार किया है।




होली के दिन, वह अपने दोस्तों के साथ त्योहार मना रहे थे, लेकिन शाम होते ही उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार को छोड़कर मेडिकल कॉलेज के मर्चरी हाउस की ओर रुख किया। वहां उन्होंने लावारिस शव का पोस्टमार्टम कराया और स्थानीय लोगों तथा पुलिस की मदद से उसका अंतिम संस्कार किया।



भीख मांगने वाले की अनसुनी मौत


सूत्रों के अनुसार, एक भीख मांगने वाले की होली से ठीक दो दिन पहले मृत्यु हो गई थी। उसका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था। जब कुंवर वीरेंद्र सिंह को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने होली मनाने के बाद सीधे मर्चरी हाउस का रुख किया। उन्होंने कांस्टेबल बिंदा प्रसाद और होमगार्ड अंबिका प्रसाद कुशवाहा की मदद से शव को शमशान घाट पहुंचाया और हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया।



हर दिन श्मशान घाट पर मौजूद


कुंवर वीरेंद्र सिंह के लिए यह कोई नई बात नहीं है। वह हर दिन शाम 5:00 से रात 8:00 बजे तक श्मशान घाट पर मौजूद रहते हैं। जनपद में रेलवे से कटे हुए शवों का भी अंतिम संस्कार करते हैं। वह शवों को 72 घंटे तक मर्चरी रूम में रखकर परिजनों का इंतजार करते हैं। कई बार परिजन शव की पहचान करने आते हैं और कुंवर वीरेंद्र सिंह उनकी मदद करते हैं।


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