राजस्थान में पहली बार बाघिन को 'राजमाता' का दर्जा, सरिस्का में बनेगा स्टेच्यू
aapkarajasthan March 17, 2025 12:42 PM

अलवर न्यूज़ डेस्क,देश में संभवतः पहली बार किसी बाघिन को राजमाता का दर्जा देकर उसका स्टेच्यू बनाया जा रहा है. इसकी शुरुआत भी राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का बाघ अभ्यारण से हो रही है. क्योंकि यहां कभी सरिस्का में बाघों की भरमार होती थी. इसी कारण इस बाघ अभ्यारण का दर्जा देकर इसको संरक्षित किया गया. लेकिन शिकारियों की घुसपैठ और राज्य सरकार की अपेक्षा के चलते यह सरिस्का बाघ विहीन हो गया. इसके बाद बाघिन St 2 ने सरिस्का में दोबारा बाघ बसाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

पर्यावरण मंत्री ने दिया राजमाता का दर्जा 
अब सरिस्का को आबाद करने में सबसे ज्यादा योगदान देने वाली बाघिन St 2 का स्टेच्यु तैयार किया जा रहा है. इस बाघिन को राजस्थान के वन और पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने राजमाता का दर्जा देकर स्टेच्यू बनाने की घोषणा की थी. लाखों रुपए खर्च कर इसका शानदार स्टैचू बनाया जा रहा है, जो आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी होगा.

बाघिन st2 का बनाया जाएगा भव्य स्टेच्यू
सरिस्का बाघ परियोजना की बाघिन st2 राजमाता के नाम से मशहूर थी. जिसका स्टैच्यू बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. वहीं वन मंत्री संजय शर्मा ने भी राजमाता के बनने वाले स्टेच्यू का निरीक्षण कर लिया है. अब उसी के आधार पर सरिस्का रेस्ट हाउस के पीछे काम शुरू हो गया है.

सरिस्का डीएफओ अभिमन्यु साहरण ने बताया कि राजमाता टाइगर की प्रतिमा को भव्य और शानदार बनाया जाएगा और सरिस्का को आबाद करने में राजमाता टाइगर के योगदान का उल्लेख भी किया जाएगा. जिससे यहां आने वाले पर्यटक राजमाता टाइगर के बारे में जान सकें. 

सरिस्का में अभी हैं 42 बाघ
इस स्टैचू के सामने खड़े होकर सेल्फी भी खिंचवाई जा सकती है. यहां उल्लेखनीय है कि 2004 में सरिस्का से बाघ गायब हो गए थे. उसके बाद वर्ष 2008 में  सरिस्का में रणथंभौर से टाइगर लाकर पुनर्वास किया गया था. जिसमें बाघिन st2 का बहुत बड़ा योगदान रहा था. यह दुनिया का पहला प्रयास था.जिसमें इस तरह का प्रयास किया गया था. सरिस्का में वर्तमान में 42 टाइगर है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं और इन्हीं के कारण पर्यटक लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

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