फूलन देवी: एक साहसी महिला की कहानी जो बनी बैंडिट क्वीन
Gyanhigyan March 18, 2025 01:42 PM
फूलन देवी का अद्भुत सफर

नई दिल्ली। चंबल की प्रसिद्ध बैंडिट क्वीन फूलन देवी का नाम आज भी दलितों और शोषितों के संघर्ष में लिया जाता है। उनकी कहानी इतनी भयावह है कि यह किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा 'ए ग्रेन ऑफ सैंड इन ऑवरग्लास ऑफ़ टाइम' में फूलन देवी के बारे में कई रोचक किस्से साझा किए हैं।



जानिए फूलन देवी की कहानी

एक साधारण गाँव की लड़की कैसे एक खतरनाक डकैत बन गई, यह जानना दिलचस्प है। फूलन देवी का जन्म 1963 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के पुरवा गाँव में हुआ। जब वह केवल 10 वर्ष की थी, उसकी शादी एक 30 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई। मल्लाह जाति की होने के कारण, उसे सवर्णों द्वारा लगातार शोषण का सामना करना पड़ा। उसके पति ने उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया, जिससे वह अपने मायके भाग गई। वहां, गाँव के मुखिया के बेटे ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।


ठाकुरों द्वारा शोषण

फूलन की माँ ने उसे अपनी बहन के पास भेज दिया। वहां, उसने अपने मौसरे भाई कैलाश से मुलाकात की, जो चंबल के दस्यु सरगना बाबूसिंह गुर्जर के साथ था। बाबू सिंह ने फूलन को अपने साथ ले जाकर उसका यौन शोषण किया। इसी दौरान उसकी मुलाकात विक्रम नामक डकैत से हुई, जिसके साथ उसका प्रेम पनपने लगा, लेकिन विक्रम की हत्या कर दी गई। इसके बाद, दस्यु सरगना श्रीराम ने फूलन को अगवा कर लिया और 22 दिनों तक उसके साथ गैंगरेप किया।


राजनीति में कदम

1981 में, फूलन ने अपने साथ हुए अन्याय का बदला लिया और बलात्कार करने वाले 20 लोगों को गोलियों से भून दिया। इसके बाद, उसने आत्मसमर्पण कर दिया। जेल से रिहा होने के बाद, 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और मिर्जापुर-भदौही लोकसभा सीट से सांसद बनीं। 2001 में, एक व्यक्ति ने उनके दिल्ली स्थित आवास पर उन्हें गोली मार दी।


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