जोधपुर न्यूज़ डेस्क - जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार और उनकी साइक्लोनर टीम ने एक बार फिर कई अपराधियों को पकड़ा है। फिल्म सिंघम की तरह फिल्मी अंदाज में अपराधियों को पकड़ने के लिए मशहूर जोधपुर रेंज आईजी और उनकी साइक्लोनर टीम को एक और बड़ी सफलता तब मिली जब उन्होंने ऑपरेशन छविश्रम के तहत 8 साल से फरार चल रहे अपराधी रूपाराम को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। इस अपराधी ने भागने की कोशिश की लेकिन पुलिस की गाड़ियों ने उसे घेर लिया और हाथों में डंडे लिए पुलिस अधिकारियों और जवानों ने उसे रोका, उसका नाम पूछा और फिर आगे की कार्रवाई को अंजाम दिया। राजस्थान में हर कोई सिर्फ आईजी विकास कुमार का इंतजार करता है। उनकी मुस्तैदी और एक्शन स्टाइल को लोग पसंद कर रहे हैं।
8 साल से फरार था अपराधी
जोधपुर रेंज पुलिस ने 2 जिलों से 35 हजार रुपये के इनामी को पकड़ा है। पुलिस की नाकाबंदी से बचने के लिए वह बीमार होने का बहाना करके कार की अगली सीट पर लेटकर आ रहा था। जैसे ही उसके साथी ने पुलिस को देखकर कार भगाने की कोशिश की तो पुलिस ने दौड़ाकर उसे पकड़ लिया। रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया कि टीम ने इस मामले में आरोपी रूपाराम को गिरफ्तार कर लिया है। वह 8 साल से फरार था। ऑपरेशन छविश्रम के तहत किया गिरफ्तार ऑपरेशन छविश्रम के बारे में जानकारी देते हुए रेंज आईजी विकास कुमार ने लोकल 18 को बताया कि रूपाराम पर पाली जिले की पुलिस ने 25 हजार और भीलवाड़ा जिले की पुलिस ने 10 हजार का इनाम घोषित किया था। आरोपी 15 साल से तस्करी की गतिविधियों में लिप्त था। उसके खिलाफ एसओजी में भी मामले दर्ज हैं।
अमीर बनने के लालच ने अपराध की दुनिया में धकेला
10वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद रूपाराम ने पिता के साथ रहकर खेतीबाड़ी शुरू की। इसके बाद मकान निर्माण कार्य में ठेकेदारी करने लगा। लेकिन, अमीर बनने के लालच और सनक ने उसे मारवाड़ के तस्करों के संपर्क में ला दिया। शुरुआत में वह तस्करों के लिए ड्राइवर का काम करने लगा। फिर उसने अफीम, एमडी, पोस्त भूसी और गांजा सप्लाई करने का अपना काम शुरू कर दिया।
बीमार होने का बहाना कर जा रहा था घर
रेंज आईजी विकास कुमार की मानें तो आरोपी के खिलाफ मादक पदार्थ तस्करी का पहला मामला चित्तौड़गढ़ में वर्ष 2010 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जब उसे पुलिस ने वांछित अपराधी घोषित कर दिया तो वह राजस्थान छोड़कर महाराष्ट्र में सोलर प्लांट में काम करने लगा। यहां वह अपने गुर्गों के जरिए राजस्थान में अपना नेटवर्क बढ़ाता रहा। बाद में उसने चित्तौड़गढ़ जिले को अपने गांव आने का केंद्र बनाया।
इधर आरोपी होली पर अपने गांव आने की योजना बनाने लगा। साइक्लोनर टीम के चंगुल से बचने के लिए उसने अपने दोस्तों को चित्तौड़गढ़ बुलाकर अपने गांव आने को कहा और उनकी कार की अगली सीट पर लेटकर बीमार होने का बहाना कर गांव आने लगा। इधर टीम को मुखबिर के जरिए आरोपी के गांव आने की सूचना मिली। इस पर साइक्लोनर टीम ने पाली जिले के रास्ते में चेक पोस्ट पर नाकाबंदी के दौरान आरोपी को पकड़ लिया। आरोपी की गिरफ्तारी में कांस्टेबल अशोक परिहार, अशोक कुमार व जोगाराम की विशेष भूमिका रही।