विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत का खुशहाली स्कोर 4.389 है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्कोर गिरने का मुख्य कारण है रोज़ाना ट्रैफिक में फंसना, दूध में पानी मिलाना, और धीमा इंटरनेट। वहीं, फिनलैंड का स्कोर सबसे ऊँचा है, क्योंकि वहां लोग खोई हुई चीजें भी आसानी से ढूंढ लेते हैं। भारत में अगर पर्स खो जाए, तो उसे ढूंढने की बजाय लोग उसे ‘रील’ बनाकर अलविदा कह देते हैं!
दिल्ली के एक निवासी ने कहा, “हम खुश कैसे रह सकते हैं? सुबह उठते ही EMI का संदेश आ जाता है। ऑफिस पहुंचते ही बॉस काम जल्दी खत्म करने का दबाव डालता है। शाम को घर लौटते हैं तो पत्नी कहती है- सब्जी लाना। इस रिपोर्ट में ‘पत्नी के तानों’ का एक अलग सेक्शन होना चाहिए था।”
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शोधकर्ताओं का कहना है कि खुश रहने के लिए ‘दूसरों के साथ भोजन साझा करना’, ‘समय बिताना’ और ‘ईमानदारी’ आवश्यक है। इस पर एक युवक ने कहा, “यहां तो गोलगप्पे वाला भी एक अतिरिक्त देने से मना कर देता है, और दोस्त अपनी Maggi तक नहीं बांटते। खुशहाली कैसे आएगी?”
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सबसे खुश लोग वे होते हैं जो दूसरों पर भरोसा करते हैं। इस पर एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, “हमने एक बार पड़ोसी से नमक मांगा था, उसने पूछा- ‘क्या तुमने पिछली बार लौटाया था?’ उसी दिन से मैंने भरोसा करना छोड़ दिया।”
अब सरकार और जनता दोनों इस पर विचार कर रहे हैं कि खुशहाली कैसे बढ़ाई जाए। किसी ने सुझाव दिया, “सरकार छुट्टियां बढ़ा दे, ऑफिस में लूडो और कैरम शुरू कर दे, और हर महीने का सब्सक्रिप्शन मुफ्त दे, देखना अगले साल हम नंबर 1 होंगे।”
भारत में लोग तब खुश होते हैं जब ‘Sale’ होती है या ‘सरकार फ्री रिचार्ज’ देती है। उम्मीद है कि अगली रिपोर्ट में हम केवल हंसेंगे, रोएंगे नहीं!