कपिल सिब्बल इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच पर नाराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा द्वारा 2021 के एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के प्रयास के पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दिए गए फैसले ने पूरे देश में भारी हंगामा मचा दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी महिला के निजी अंगों को छूना, उसके कपड़े फाड़ना, उसकी स्कर्ट नीचे खींचने की कोशिश करना और उसके पजामे का कमरबंद तोड़ना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के अपराध के अंतर्गत नहीं आएगा।
कपिल सिब्बल क्रोधित हैं।
अब इस मामले में वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘भगवान इस देश को बचाए, क्योंकि ऐसा जज बेंच पर बैठा है!’ सर्वोच्च न्यायालय गलती करने वाले न्यायाधीशों के प्रति बहुत उदार रहा है।
कपिल सिब्बल ने कहा, ‘न्यायाधीशों, विशेषकर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को ऐसी टिप्पणियां करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और लोगों का न्यायपालिका पर से विश्वास उठ जाएगा।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि इस तरह की विवादास्पद टिप्पणी करना अनुचित है, क्योंकि आजकल कोई भी न्यायाधीश जो कुछ भी कहता है, उससे समाज में एक संदेश जाता है। यदि न्यायाधीश, विशेषकर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ऐसी टिप्पणियां करेंगे तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और लोगों का न्यायपालिका पर से विश्वास उठ जाएगा।
पूरा मामला क्या है?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा द्वारा 2021 के एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के प्रयास के पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दिए गए फैसले ने पूरे देश में भारी हंगामा मचा दिया है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि पीड़िता के निजी अंगों को छूना या उसके कपड़े फाड़ने का प्रयास करना बलात्कार का अपराध नहीं कहा जा सकता। इसे निश्चित रूप से यौन उत्पीड़न कहा जा सकता है। इसके साथ ही न्यायाधीश ने आरोपियों के खिलाफ मामूली आरोपों में मुकदमा चलाने का निर्देश दिया, जिनमें सजा का प्रावधान बलात्कार के मामलों की तुलना में कम है।