सोचिए, आपको अचानक फोन आता है और सामने वाला खुद को पुलिस अधिकारी बताता है। कहता है कि आपके परिवार के किसी सदस्य को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनकी रिहाई के लिए तुरंत पैसों की जरूरत है। यह एक नया साइबर स्कैम है, जिसमें बुजुर्गों को निशाना बनाया जा रहा है। जानें इस ठगी से कैसे बचें और क्या सावधानियां बरतें।
कैसे काम करता है यह स्कैम?
इस ठगी में स्कैमर्स खुद को पुलिस अधिकारी, वकील या सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ित को डराने की कोशिश करते हैं। वे झूठे आरोप लगाकर कहते हैं कि आपके परिवार के किसी सदस्य पर गंभीर आरोप हैं, जैसे ड्रग तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग। इसके बाद वे वीडियो कॉल पर बने रहने का दबाव डालते हैं, ताकि पीड़ित किसी से संपर्क न कर सके और असली स्थिति की पुष्टि न कर पाए। इस दौरान स्कैमर बातचीत को नियंत्रित करते हैं और पीड़ित से जल्दबाजी में पैसे ट्रांसफर करने को कहते हैं।
बुजुर्गों को कैसे बनाते हैं निशाना?
बुजुर्गों को तकनीकी जानकारी कम होती है और वे अपने परिवार को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं। स्कैमर्स इस बात का फायदा उठाते हैं और उन्हें डराकर तुरंत भुगतान करने को कहते हैं। ठग डिजिटल पेमेंट का सहारा लेते हैं और बुजुर्गों से बिना वेरिफिकेशन के पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं।
ऐसे साइबर स्कैम से बचने के उपाय:
सच्चाई की जांच करें: अगर कोई ऐसा कॉल आए, तो घबराएं नहीं और पहले सही से जांच करें। पुलिस या सरकारी एजेंसियां डिजिटल माध्यम से गिरफ्तारी की सूचना नहीं देतीं।
परिवार से संपर्क करें: अपने करीबी रिश्तेदारों को तुरंत कॉल करें और स्थिति की पुष्टि करें।
डिजिटल भुगतान न करें: किसी भी परिस्थिति में तुरंत पैसे ट्रांसफर न करें। सरकारी एजेंसियां फोन या मैसेज पर पैसे नहीं मांगतीं।
वीडियो कॉल से बचें: अगर कोई वीडियो कॉल पर बनाए रखता है, तो तुरंत कॉल काटें और पुलिस को सूचित करें।
संदिग्ध नंबर ब्लॉक करें: ऐसे नंबरों को तुरंत ब्लॉक करें और साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करें।
सतर्क रहें, जागरूक रहें और किसी भी संदेहजनक कॉल या मैसेज को बिना पुष्टि किए गंभीरता से न लें।