भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से प्याज पर लगे 20% निर्यात शुल्क को हटाने का फैसला किया है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। यह शुल्क पहले घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बनाए रखने के लिए लगाया गया था। इसके साथ-साथ न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) और दिसंबर 2023 से मई 2024 तक निर्यात पर प्रतिबंध भी लागू किया गया था। अब सरकार ने इस शुल्क को हटाकर किसानों और निर्यातकों को राहत देने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
निर्यात के आंकड़े और बदलाव
पाबंदियों के बावजूद भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 17.17 लाख मीट्रिक टन और 2024-25 में अब तक 11.65 लाख मीट्रिक टन प्याज का निर्यात किया। सितंबर 2024 में जहां प्याज निर्यात 0.72 लाख टन था, वहीं जनवरी 2025 में यह बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया।
कीमतों में गिरावट, मंडियों में तेजी से आवक
रबी सीजन की फसल आने के बाद मंडियों और रिटेल बाजारों में प्याज की कीमतों में नरमी आई है। हालांकि मंडी भाव अभी भी पिछले साल के मुकाबले ऊंचे हैं, लेकिन ऑल-इंडिया मॉडल कीमतों में 39% और रिटेल स्तर पर 10% की गिरावट देखी गई है। महाराष्ट्र की प्रमुख मंडियों जैसे लासलगांव और पिंपलगांव में प्याज की भारी आवक दर्ज की गई है। 21 मार्च 2025 को लासलगांव में मॉडल कीमत ₹1330 और पिंपलगांव में ₹1325 प्रति क्विंटल रही।
इस साल प्याज का रिकॉर्ड उत्पादन
कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस बार रबी प्याज का उत्पादन 227 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के 192 LMT से 18% ज्यादा है। रबी सीजन की प्याज फसल देश की कुल प्याज आपूर्ति का 70-75% होती है, जिससे खरीफ फसल के आने तक बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।
सरकार की दोहरी चुनौती
सरकार एक तरफ किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाना चाहती है, तो दूसरी ओर उपभोक्ताओं के लिए कीमतें काबू में रखने की कोशिश कर रही है। पिछले साल अगस्त से देश को कम उत्पादन और वैश्विक बाजार में ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ा था। अब रबी की अच्छी फसल से बाजार में संतुलन और राहत की उम्मीद है।