भारत में कई लोग अपनी संपत्तियों को किराए पर देते हैं, जिससे उन्हें नियमित आय प्राप्त होती है। हालांकि, कई बार किराएदार संपत्ति को खाली करने में आनाकानी करते हैं। यदि आप भी अपने घर या अन्य संपत्ति को किराए पर देते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जो मकान मालिकों और किराएदारों दोनों के लिए जानना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक को यह तय करने का अधिकार है कि उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कौन सी संपत्ति खाली करानी है। किराएदार यह नहीं कह सकता कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां हैं और वह उनसे अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि "मकान मालिक की वास्तविक आवश्यकता के आधार पर किराएदार को परिसर से निकालने का कानून स्पष्ट है।" कोर्ट ने यह भी कहा कि मकान मालिक को यह तय करने का अधिकार है कि उसकी विशेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए कौन सी संपत्ति खाली कराई जानी चाहिए। किराएदार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है।
एक मकान मालिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने कहा कि उसे अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगवानी है, और इसी कारण से उसे किराएदार से वह संपत्ति खाली करवानी है। निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया था, और हाई कोर्ट ने भी उसी फैसले को बरकरार रखा। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने की।
किराएदार ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां हैं और वह दूसरी संपत्ति को खाली कराकर अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है। इस दलील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब मकान मालिक की वास्तविक आवश्यकता पूरी हो जाती है, तो किराएदार उसे किसी अन्य संपत्ति को खाली करवाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हालांकि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां हो सकती हैं, लेकिन जब उसने अपने बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की वास्तविक आवश्यकता के लिए परिसर को खाली करवाने का निर्णय लिया है, तो उसे अन्य किरायेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।" कोर्ट ने यह भी कहा कि यह स्थान अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह एक मेडिकल क्लिनिक और पैथोलॉजिकल सेंटर के निकट स्थित है।