हिंदू धर्म में कैलाश मानसरोवर यात्रा को बेहद पवित्र माना गया है. बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी भी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाते हैं और इसे उनके पंथ में भी बेहद पवित्र बतलाया गया है. कैलाश मानसरोवर का बड़ा हिस्सा भारत के पड़ोसी देश चीन के हिस्से में आता है. इसके लिए चीन से वहां जाने की परमिशन लेनी पड़ती थी और कोरोना के वक्त से यह यात्रा बंद भी थी. लेकिन अब भारतीयों को कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए चीन के रास्ते जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके साथ ही नेपाल के रास्ते व सिक्किम होते हुए भी जाने की जरूरत नहीं होगी.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस यात्रा को लेकर अपडेट दिया है. उन्होंने एक कार्यक्रम में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर यात्रा के रूट को लेकर अहम जानकारी साझा की. दरअसल, पिथौरागढ़ से मानसरोवर के लिए सीधा रास्ता बनाया जा रहा है. इस रास्ते का निर्माण कार्य करीब 85 फीसदी तक पूरा हो गया है और जल्द ही पूरा रास्ता बनकर तैयार हो जाएगा. हालांकि इस परियोजना को मौसम संबंधी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह बहुत मुश्किल काम है क्योंकि वहां तापमान शून्य से 8 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है. इसकी वजह से इस रास्ते का काम साल में केवल तीन से चार महीने ही जारी रख पाते हैं.
तमाम मुश्किलों और कठिनाइयों के बावजूद भी यह परियोजना जल्द पूरी हो जाएगी. उन्होंने यह बात कही है. उन्होंने कहा, ‘मैं कोशिश कर रहा हूं. इस बार अप्रैल के बाद मैं साइट पर भी जाऊंगा. यह जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगी. इस परियोजना के पूरा हो जाने पर पिथौरागढ़ से मानसरोवर तक सीधा आवागमन हो सकेगा.
यह सड़क नेपाल और सिक्किम के मौजूदा मार्गों को बायपास कर देगी. उन्होंने कहा कि जब सड़क चीन तक पहुंचेगी तो हमारा विदेश मंत्रालय उनके साथ चर्चा शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि एक बार यह सड़क बनकर तैयार हो जाए तो तीर्थयात्रियों को नेपाल या सिक्किम से होकर नहीं जाना पड़ेगा और वे सीधे पिथौरागढ़ के रास्ते कैलाश मानसरोवर पहुंच सकेंगे.