किरायेदारों के अधिकार यदि आप समय पर किराया चुकाते हैं लेकिन फिर भी मकान मालिक की शिकायतों से परेशान हैं, तो अपने अधिकारों को जानना आवश्यक है। यदि मकान मालिक बिना किसी कारण के आपको घर से निकालने, मेहमानों को रोकने या बिना अनुमति घर में घुसने की धमकी देता है, तो आप इसका विरोध कर सकते हैं। किरायेदार के रूप में अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी होना आपके लिए महत्वपूर्ण है ताकि आप अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
किरायेदार के अधिकार क्या हैं?
जब तक आप किराया चुकाते हैं, आप उस संपत्ति के मालिक के समान होते हैं। भारत में किरायेदारों को ऐसे अधिकार दिए गए हैं जो संपत्ति के मालिक के समान हैं। किराए पर कोई संपत्ति लेने से पहले रेंट एग्रीमेंट बनाना अनिवार्य है। इसके बिना, आप कानूनी समस्याओं में फंस सकते हैं। यह आपकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
एक बार रेंट एग्रीमेंट बन जाने के बाद, मकान मालिक बिना आपकी जानकारी के उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकता। बिना आपकी अनुमति के, वह आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकता। केवल आपकी सहमति से ही वह उस संपत्ति में आ सकता है।
रेंट एग्रीमेंट में सभी शर्तों का लिखित होना आवश्यक है। यदि सभी शर्तें नहीं लिखी गई हैं, तो टेनेंसी एक्ट 2021 लागू होगा। अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच घर में टूट-फूट को लेकर विवाद होता है।
आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि छोटी-मोटी टूट-फूट की जिम्मेदारी किरायेदार की होती है, जबकि बिल्डिंग से संबंधित बड़ी टूट-फूट की मरम्मत की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। यदि टूट-फूट किरायेदार के कारण हुई है, तो उसे ठीक करवाना होगा।
आने-जाने पर पाबंदी लगाना गलत है
कई मकान मालिक किरायेदार के आने-जाने पर पाबंदी लगाते हैं और रात में लौटने का समय तय करते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि समय की पाबंदी को लेकर कोई कानून नहीं है। पार्किंग को लेकर भी अक्सर विवाद होते हैं। समय और पार्किंग के मुद्दों को आपसी सहमति से सुलझाया जा सकता है। कभी-कभी, पालतू जानवर रखने की अनुमति भी मकान मालिक पर निर्भर करती है।
घर खाली कराने के नियम
यदि मकान मालिक आपको घर खाली करने की धमकी देता है, तो चिंता न करें, क्योंकि रेंट एग्रीमेंट में तय नियम महत्वपूर्ण होते हैं। मकान मालिक बिना कारण के आपको घर खाली नहीं करवा सकते। रेंट एग्रीमेंट में घर खाली करने के लिए एक महीने का नोटिस देना अनिवार्य है, जिससे आपको समय मिलता है और आपकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
किरायेदार के पास यह अधिकार है कि वह घर खाली करने से पहले अपनी एडवांस राशि वापस मांग सकता है या किराए में समायोजित कर सकता है। यदि किरायेदार की मृत्यु हो जाती है, तो उनका परिवार या कानूनी उत्तराधिकारी उस घर में समान अधिकार के साथ रह सकता है।