Ajna: अब क्रोम-फायरफॉक्स को टक्कर देगा भारत का ये स्वदेशी ब्राउजर, सरकार ने भी दिया 50 लाख का इनाम
GH News March 29, 2025 12:06 AM

Web Browser: इस चैलेंज में देशभर से स्टार्टअप्स, स्टूडेंट्स और रिसर्चर्स ने हिस्सा लिया. इसमें जोश और जुनून ऐसा था कि कुल 434 टीमें शामिल हुईं. तीन चरणों - आइडिया, प्रोटोटाइप और प्रोडक्ट बनाने के बाद आखिरकार आठ टीमें फाइनल में पहुंचीं.

भारत अब डिजिटल दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने की राह पर है. हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने एक खास मुकाबले के जरिए देश का अपना वेब ब्राउजर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. वर्ल्ड हैप्पीनेस डे के मौके पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज (IWBDC) के विजेताओं का ऐलान किया. ये कदम आत्मनिर्भर भारत के सपने को सच करने की ओर एक बड़ी छलांग है, जिसका मकसद भारत को ‘सर्विस नेशन’ से ‘प्रोडक्ट नेशन’ बनाना है.

434 टीमों ने लिया हिस्सा

इस चैलेंज में देशभर से स्टार्टअप्स, स्टूडेंट्स और रिसर्चर्स ने हिस्सा लिया. इसमें जोश और जुनून ऐसा था कि कुल 434 टीमें शामिल हुईं. तीन चरणों – आइडिया, प्रोटोटाइप और प्रोडक्ट बनाने के बाद आखिरकार आठ टीमें फाइनल में पहुंचीं. इसमें पहला स्थान Zoho कॉर्पोरेशन ने हासिल किया, जिसे 1 करोड़ रुपये का इनाम मिला. वहीं, स्टार्टअप टीम PING ने दूसरा और टीम Ajna ने तीसरा स्थान पाया, जिन्हें 75 लाख और 50 लाख रुपये दिए गए. Jio Vishwakarma को भी खास मेंशन मिला, क्योंकि उनकी टीम ने कई प्लेटफॉर्म्स के लिए शानदार डिज़ाइन पेश किया. खास बात ये कि विजेता टीमें टियर-2 और टियर-3 शहरों से आईं, जो दिखाता है कि भारत का टैलेंट अब बड़े शहरों तक सीमित नहीं है.

Ajna के विनय सिंह ने कही ये बात

Ajna इंक के संस्थापक विनय सिंह (Vinay Singh) ने कहा कि इस उपलब्धि से हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है कि हम भारत के लिए एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर वेब अनुभव तैयार करें हमारा लक्ष्य देश को डिजिटल रूप से आत्मनिर्भर बनाना है और हम अपने उत्पाद को और बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं उन्होंने यह भी बताया कि स्वदेशी ब्राउजर का विकास इसलिए आवश्यक है क्योंकि कई अंतरराष्ट्रीय ब्राउजर्स भारतीय अधिकारियों की सुरक्षा संबंधित अनुरोधों की अनदेखी कर देते हैं इसके अलावा अगर भविष्य में किसी कारणवश गूगल या अन्य वैश्विक टेक कंपनियां भारतीय उपयोगकर्ताओं की सेवाओं को सीमित करती हैं तो देश के पास अपना स्वतंत्र और सुरक्षित ब्राउजर होना आवश्यक है.

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