मुगल हरम में तवायफों की नशे की आदतें और सामाजिक स्थिति
Gyanhigyan March 29, 2025 06:42 AM
मुगल हरम में तवायफों का स्थान

मुगल हरम में तवायफों का स्थान: भारत के ऐतिहासिक समाज में तवायफों की भूमिका हमेशा से विवादास्पद और जटिल रही है। एक ओर, इन्हें कला और शाही संस्कृति का प्रतीक माना जाता था, वहीं दूसरी ओर, इन्हें समाज में हाशिए पर रखा जाता था। विशेषकर ब्रिटिश राज के दौरान, तवायफों के कोठों का समाज में एक विशेष स्थान था, जहां काव्य, संगीत, नृत्य और कला का संगम होता था। हालांकि, तवायफों की जिंदगी में कई जटिलताएँ भी थीं, जिनमें से एक नशे की लत थी।


तवायफों की नशे की लत

तवायफों के जीवन में नशे की लत एक महत्वपूर्ण पहलू थी, जो उनके शाही जीवन का हिस्सा बन गई थी। इन महिलाओं की नशे की आदतें विशेष रूप से उच्च समाज से जुड़ी थीं। तवायफों के कोठों पर नशे के विभिन्न रूपों का प्रचलन था, जो उनके कद्रदानों और समाज के उच्च वर्ग द्वारा प्रोत्साहित किए जाते थे।


भांग और ठंडई

तवायफों के बीच भांग का सेवन एक सामान्य आदत बन गई थी, जो न केवल उनके मनोरंजन का हिस्सा था, बल्कि उनकी जीवनशैली का भी एक अंग था। भांग की ठंडई, जो खासकर गर्मी के मौसम में बनाई जाती थी, एक प्रसिद्ध पेय बन गई थी। तवायफें इस ठंडई का सेवन करतीं, जिससे उन्हें ताजगी और मानसिक शांति का अनुभव होता था। इसके अलावा, भांग के लड्डू भी तवायफों के बीच लोकप्रिय थे, जो शारीरिक और मानसिक विश्राम के लिए खाए जाते थे।


पान-जर्दा

पान, जो भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है, तवायफों के कोठों पर एक महत्वपूर्ण परंपरा बन चुका था। पान के विभिन्न प्रकार, जैसे पान-जर्दा, गुलाब-पान और मिंट-पान, तवायफों के दैनिक जीवन का हिस्सा होते थे। तवायफें अपने कद्रदानों को महंगे पान भेजने के लिए भी जानी जाती थीं। इसके अलावा, उनके कोठे पर पान के साथ-साथ मसालेदार चीजों का भी सेवन किया जाता था, जो उनके शाही जीवन का प्रतीक थे।


अंग्रेजी शौक: वाइन, सिगार और सिगरेट

ब्रिटिश शासन के दौरान, तवायफों के जीवन में नशे की आदतों में एक नया मोड़ आया। अंग्रेजों का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव बढ़ा और इसके साथ ही तवायफों की नशे की आदतों में भी परिवर्तन आया। अंग्रेजी शराब, खासकर वाइन, का सेवन तवायफों के बीच आम हो गया। अंग्रेज अधिकारी और रईस तवायफों को यह तोहफे में देने लगे थे। लखनऊ, दिल्ली और पटना जैसे शहरों में तवायफों के कोठों पर अंग्रेजी वाइन और महंगी शराब एक शाही आदत बन गई थी।


तवायफों की शाही जिंदगी और उनके खर्चीले शौक

तवायफों का जीवन शाही था और उनके नशे की लत भी उतनी ही महंगी और खर्चीली थी। नवाबों और रईसों से प्राप्त तोहफे जैसे महंगे शराब, वाइन, सिगार, सिगरेट, भांग और पान उनकी जीवनशैली का हिस्सा बन गए थे। तवायफों के कोठे पर आयोजित होने वाले संगीत, नृत्य और कवि-सम्मेलनों के दौरान इन सभी वस्तुओं का सेवन होता था। उनके पास समृद्धि और विलासिता थी, लेकिन इसका एक स्याह पक्ष भी था – यह नशे की लत तवायफों के जीवन को प्रभावित करने लगी थी।


आजादी के बाद: तवायफों की स्थिति में बदलाव

भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, तवायफों की स्थिति में बदलाव आना शुरू हुआ। उनके शाही जीवनशैली और रुतबे में कमी आने लगी, क्योंकि समाज में एक नई दिशा की आवश्यकता महसूस होने लगी थी। तवायफों के कोठे, जो पहले समृद्धि और कला का केंद्र थे, अब धीरे-धीरे अपनी अहमियत खोने लगे थे। इसके साथ ही नशे की आदतें भी कम होने लगीं और तवायफों की जिंदगी की चमक भी धुंधली हो गई।


तवायफों का इतिहास न केवल कला और संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि उनके जीवन की जटिलताओं और सामाजिक स्थिति का भी एक अद्वितीय उदाहरण है। उनकी नशे की लत, जो कभी शाही और खर्चीली हुआ करती थी, आज एक पुरानी याद बन गई है। इन महिलाओं का जीवन भले ही आज के समय में बदल चुका हो, लेकिन उनके योगदान और प्रभाव को भुलाया नहीं जा सकता।


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