केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में महंगाई भत्ता एक महत्वपूर्ण घटक है। हर छह महीने में वेतन आयोग के संशोधन के बाद महंगाई भत्ते में बदलाव होता है, जो बढ़ती महंगाई के अनुसार होता है। जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है, वैसे-वैसे कर्मचारियों का महंगाई भत्ता भी बढ़ता है।
महंगाई भत्ते में वृद्धि
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महंगाई भत्ते में 2 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी है, जिससे यह 53 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है। अब यह बेसिक सैलरी का 55 प्रतिशत बन गया है। इस बीच, यह सवाल उठ रहा है कि क्या अगले साल 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से पहले महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में समाहित किया जाएगा?
महंगाई भत्ते की अगली घोषणा
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अगली महंगाई भत्ते की घोषणा अक्टूबर या नवंबर में हो सकती है, जो जुलाई से प्रभावी होगी। यह 7वें वेतन आयोग के तहत अंतिम डीए रिवीजन होगा। वहीं, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी।
पिछले वेतन आयोगों का अनुभव
5वें वेतन आयोग के समय महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में समाहित किया गया था, जब यह 50 प्रतिशत से अधिक हो गया था। इसके बाद ऐसा नहीं हुआ, लेकिन वर्तमान में महंगाई भत्ता फिर से 50 प्रतिशत से ऊपर है, जिससे इसके मर्ज होने की संभावना बढ़ गई है।
विशेषज्ञों की टिप्पणियाँ
एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई भत्ते के मर्ज होने की संभावना पर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। 6वें और 7वें वेतन आयोग ने महंगाई भत्ते के मर्ज का विरोध किया था।
सरकार की स्थिति
केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को मर्ज करने की मांग पर वित्त राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मर्ज नहीं किया जाएगा।
महंगाई भत्ते के मर्ज के फायदे
अगर महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाता है, तो कर्मचारियों को इसका सीधा लाभ होगा। उदाहरण के लिए, यदि बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है और 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता 9,000 रुपये है, तो कुल सैलरी 27,000 रुपये हो जाएगी, जिससे अन्य भत्तों का प्रतिशत भी इसी के अनुसार मिलेगा।