आयुर्वेद में कलौंजी को 'कलयुग में धरती पर संजीवनी' कहा गया है, जो अनेक बीमारियों का इलाज करती है। इसके गुणों का उल्लेख न केवल आयुर्वेदिक ग्रंथों में, बल्कि मुस्लिम पवित्र ग्रंथ हदीस में भी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 'मौत को छोड़कर हर मर्ज की दवा है कलौंजी'। यह सभी धर्मों के ग्रंथों में उल्लेखित है।
कलौंजी एक औषधीय पौधा है, जिसके बीजों का उपयोग औषधियों के रूप में किया जाता है। इन बीजों को बारीक पीसकर सिरका, शहद या पानी में मिलाकर सेवन किया जाता है।
250 ग्राम कलौंजी को ढाई लीटर पानी में उबालें। जब पानी एक लीटर रह जाए, तो इसे ठंडा करें। इस प्रक्रिया से तेल निकलकर पानी के ऊपर तैरने लगता है। इसे छानकर शीशी में भर लें।
कलौंजी के बीजों में 31 प्रतिशत स्थिर तेल और 0.5 से 1.6 प्रतिशत उड़नशील तेल पाया जाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
हदीस में कहा गया है कि 'मौत को छोड़कर हर मर्ज की दवा है कलौंजी', जो इसके औषधीय गुणों को दर्शाता है।