आजकल की तेज़-तर्रार जिंदगी में लोग कम सोते हैं, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है, लेकिन व्यस्त दिनचर्या के कारण अधिकांश लोग 8 घंटे की नींद नहीं ले पाते।
कई लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं, जिसे मेडिकल भाषा में इन्सॉमनिया कहा जाता है। यह समस्या कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकती है और युवाओं में भी यह बढ़ती जा रही है। लाइफस्टाइल में बदलाव करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, वयस्कों को 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए 7 से 8 घंटे की नींद आवश्यक है। बच्चों के लिए यह संख्या अलग-अलग होती है, जैसे 6 से 13 साल के बच्चों को 9 से 11 घंटे और 2 से 5 साल के बच्चों को 10 से 12 घंटे की नींद चाहिए।
1. गंदे नाइट सूट पहनने से त्वचा में खुजली और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
2. देर रात तक स्मार्टफोन का उपयोग करने से नींद प्रभावित होती है।
3. नियमित व्यायाम की कमी और खान-पान का भी नींद पर असर पड़ता है।
डिप्रेशन, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, ऐप्निया, पार्किन्सन्स और अल्जाइमर्स जैसी बीमारियाँ भी नींद न आने का कारण बन सकती हैं।