डिक्सन टेक्नोलॉजीज, माइक्रोमैक्स जैसी कंपनियों ने 1000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई, पार्टनर की तलाश जारी
et March 31, 2025 12:42 PM
भारत की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां जैसे डिक्सन टेक्नोलॉजीज (Dixon Technologies), माइक्रोमैक्स (Micromax) और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स (Optiemus Electronics) सरकार द्वारा हाल ही में घोषित 22,919 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग योजना का लाभ उठाने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही हैं. यह योजना उद्योग द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित थी और इसका मुख्य उद्देश्य उच्च मूल्य वाले कंपोनेंट्स और सब-असेंबली का निर्माण करना है, जो मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे फिनिश्ड इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की कुल लागत का 50% से अधिक हिस्सा बनाते हैं.शुक्रवार को कैबिनेट ने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग (ECM) प्रोग्राम को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य भारत में एक मजबूत सप्लाई चेन विकसित करना, निवेश को बढ़ावा देना और नए रोजगार के अवसर पैदा करना है. यह योजना टर्नओवर और पूंजीगत व्यय के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करती है और इसमें सब-असेंबली, बेयर कंपोनेंट्स और कैपिटल इक्विपमेंट को शामिल किया गया है. इसका लक्ष्य घरेलू मूल्य संवर्धन को 30-35% तक बढ़ाना है, जो दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देशों के स्तर के बराबर होगा.Dixon Technologies के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील वचानी के अनुसार, कंपनी वित्त वर्ष 2026 में कैमरा मॉड्यूल और डिस्प्ले असेंबली लाइनों के लिए 800-1,000 करोड़ रुपये का अग्रिम निवेश करने जा रही है. इसके अलावा, मैकेनिकल कंपोनेंट्स का निर्माण वित्त वर्ष 2027 से शुरू करने की योजना है. मैकेनिकल कंपोनेंट्स वे हिस्से होते हैं जो किसी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस के मदरबोर्ड, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और अन्य सब-असेंबली को जोड़कर रखते हैं. इनका निर्माण जटिल इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं और उच्च तकनीक वाली मशीनों की सहायता से किया जाता है.Dixon Technologies पहले ही डिस्प्ले मॉड्यूल और कैमरा मॉड्यूल के निर्माण की योजना की घोषणा कर चुकी है. कंपनी अब मैकेनिकल कंपोनेंट्स के क्षेत्र में भी कदम रखने की तैयारी कर रही है. वचानी ने कहा कि इस योजना के तहत अन्य कंपोनेंट्स के लिए, Dixon अपने छोटे और मध्यम स्तर के वेंडर्स के साथ मिलकर उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और वर्ल्ड-क्लास मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएं स्थापित करने में मदद करेगी.इस योजना को लेकर इंडस्ट्री में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. कंपनियों ने पहले ही अपने निवेश की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है और संभावित पार्टनर्स की तलाश के साथ-साथ क्लीन-रूम फैसिलिटीज में निवेश कर रही हैं. इसका उद्देश्य वित्त वर्ष 2026 और 2027 के बीच उत्पादन शुरू करना है. यह कदम भारत को एक आत्मनिर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है.(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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