IndusInd Bank ने बचाव के लिए उठाया बड़ा कदम, 10000 करोड़ रुपये का लोन ट्रांसफर, क्या है पूरा मामला

इंडसइंड बैंक ने अपनी नकदी स्थिति को मजबूत करने के लिए अन्य बैंकों के साथ कई सौदे किए हैं. बैंक ने उच्च श्रेणी के कॉर्पोरेट लोन अन्य बैंकों को ट्रांसफर किए हैं, ताकि संभावित जमा निकासी की स्थिति में खुद को सुरक्षित रख सके. यह कदम उस जांच के बीच उठाया गया है, जो बैंक में हुए अकाउंटिंग अनियमितताओं को लेकर की जा रही है. माना जा रहा है कि इन अनियमितताओं से बैंक की नेट वर्थ को 2,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है.सूत्रों के अनुसार आईसीआईसीआई बैंक और फेडरल बैंक ने इंडसइंड बैंक को 7.5-8% की ब्याज दर पर इंटर-बैंक पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट (IBPC) के माध्यम से लोन खरीदकर नकदी सहायता प्रदान की है. बताया जा रहा है कि बैंक पिछले 10 दिनों से इस तरह के सौदे कर रहा है.कुछ अनुमानों के अनुसार यह लोन ट्रांसफर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है, लेकिन चूंकि यह दो बैंकों के बीच द्विपक्षीय लेन-देन है और इसे रिपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए सही आंकड़ा बताना मुश्किल है. इस मामले पर इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और फेडरल बैंक के प्रवक्ताओं ने कोई टिप्पणी नहीं की.IBPC एक पारंपरिक तरीका है, जिसमें बैंक कुछ समय के लिए लोन को गारंटी के रूप में रखकर उधार लेते और देते हैं. आमतौर पर ये सौदे छह महीने की अवधि के लिए किए जाते हैं. इस दौरान, लोन अधिग्रहण करने वाले बैंक को ट्रांसफर किया जाता है और बेचने वाले बैंक को 40% लोन राशि उधार के रूप में मिलती है, जिसे जरूरत पड़ने पर जमा वापस करने के लिए उपयोग किया जा सकता है.इस लोन ट्रांसफर का मतलब है कि बैंक की एसेट बुक अस्थायी रूप से कम हो जाती है. यदि इंडसइंड बैंक ने 1,000 करोड़ रुपये के उच्च श्रेणी के लोन ट्रांसफर किए, तो उसे 400 करोड़ रुपये की नकदी प्राप्त होगी, जिस पर उसे ब्याज देना होगा. छह महीने के बाद, यदि इंडसइंड बैंक यह उधार की गई राशि वापस कर देता है, तो यह सौदा रिवर्स हो जाएगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस महीने बैंक ने लगभग 6,000 करोड़ रुपये के लोन अन्य बैंकों को ट्रांसफर किए हैं, जिससे उसे नकदी का अतिरिक्त लाभ मिला है.बाजार में चर्चा है कि यह कदम नियामक (रेगुलेटर) के निर्देश पर भी उठाया गया है, जिसने बैंक को अतिरिक्त नकदी सुरक्षा बनाए रखने को कहा था, ताकि यदि जमाकर्ता अपनी राशि निकालने की मांग करें, तो बैंक के पास पर्याप्त पूंजी हो. लोन ट्रांसफर की सटीक जानकारी बैंक के चौथी तिमाही के नतीजों के बाद ही सामने आएगी.ईटी ने भारत के 12 बैंकों से बातचीत की, जिनमें से कुछ को ऐसे सौदों की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया क्योंकि वे अधिक ब्याज दर चाहते थे. एक सूत्र ने बताया कि "यह इंडसइंड बैंक के लिए नकदी सुरक्षित करने का एक तरीका है, जबकि उधार देने वाले बैंकों के लिए यह कम समय में अच्छा मुनाफा कमाने का अवसर है. हालांकि, कुछ बैंकों ने 8.5% की ब्याज दर मांगी थी, जिसे इंडसइंड बैंक ने अस्वीकार कर दिया."चौथी तिमाही के नतीजे यह भी बताएंगे कि 10 मार्च के बाद से जब बैंक ने संभावित 1,600 करोड़ रुपये के मार्क-टू-मार्केट नुकसान की जानकारी दी थी, क्या उसने कोई जमा राशि गंवाई है. बैंक के बोर्ड ने अब ग्रांट थॉर्नटन भारत को अपनी डेरिवेटिव्स ऑपरेशंस की फॉरेंसिक जांच के लिए नियुक्त किया है.(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)