चैत्र नवरात्रि 2025 का आज तीसरा दिन है, और यह दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है—जो शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की देवी हैं। मां का यह रूप अपने भक्तों को हर भय से मुक्त करता है और जीवन में साहस और स्थिरता का संचार करता है। खास बात यह है कि जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर होता है या फिर मंगल दोष होता है, उनके लिए आज का दिन विशेष फलदायी माना जाता है।
मां चंद्रघंटा: स्वरूप और महत्वमां चंद्रघंटा के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित होता है, जिसकी वजह से उन्हें “चंद्रघंटा” कहा जाता है।
मां चंद्रघंटा की कृपा से स्वभाव में सौम्यता, चेहरे पर तेज और मन में स्थिरता आती है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधिपूजा के दौरान ध्यान रखें:
मणिपुर चक्र को जागृत करने हेतु:
इनमें से किसी एक मंत्र का जाप करें:
1. ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।
2. या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
जाप कम से कम 108 बार करें और पूरे मन से आराधना करें।
मंगल दोष से मुक्ति के उपायअगर कुंडली में मंगल दोष है, तो आज का दिन विशेष उपाय के लिए श्रेष्ठ माना जाता है:
ॐ अं अंगारकाय नमः।
भक्ति के साथ मंत्र जाप करने के बाद मां को अर्पित तांबे का सिक्का अपने पास रखें, ये मंगल ग्रह को मजबूत करने में सहायक होगा।
मां चंद्रघंटा का विशेष प्रसादयह प्रसाद वीरता और ऊर्जा का प्रतीक है और इसे ग्रहण करने से आत्मबल बढ़ता है।
The post first appeared on .