क्या है वो रहस्यमयी किताब जिसने भारत सरकार को किया परेशान?
newzfatafat April 07, 2025 02:42 PM
एक अनोखी कहानी का आरंभ


नमस्कार दोस्तों! आज हम एक ऐसी किताब के बारे में चर्चा करेंगे, जिस पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से शुरू होती है, जो घने जंगलों के बीच बसा हुआ है। इस गांव में एक दंपत्ति अपने जीवन का गुजारा कर रहे थे। कुछ समय बाद, उनके घर एक बेटी का जन्म होता है, लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी मां का निधन हो जाता है। उसके पिता ने ही उसकी परवरिश की। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई, उसके पिता को एहसास हुआ कि उनकी बेटी अन्य बच्चों से अलग है।


जंगल की रहस्यमय दुनिया

वह लड़की जंगल में रहना पसंद करती थी और अजीब बात यह थी कि वह जंगली जीवों से संवाद कर सकती थी। उसके पिता ने जब उससे इस बारे में पूछा, तो उसने कहा कि उसे इस बारे में कुछ नहीं पता। धीरे-धीरे, वह रात के समय जंगल में शमशान जैसी जगहों पर जाने लगी। एक रात, उसे एक डरावना बेताल मिलता है, जो उसे बताता है कि वह एक यक्षिणी है और उसका जन्म गलती से इस दुनिया में हुआ है। यह सुनकर, वह अपनी असली दुनिया में लौटने का विचार बनाती है।


ग्रंथ की रचना और उसके परिणाम

इस बीच, उसके पिता ने उसकी शादी पास के गांव में एक लड़के से कर दी। दिन में वह अपने घर में रहती थी, लेकिन रात होते ही जंगल की ओर निकल जाती थी। अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए, उसने भूत-प्रेत और जीव-जंतुओं से जानकारी इकट्ठा की और एक ग्रंथ की रचना की, जिसे उसने 'निलाबंती' नाम दिया। इस ग्रंथ में दूसरी दुनिया में जाने, उड़ने, और आत्माओं से बात करने जैसी विद्याओं का वर्णन था। अब उसे अपनी दुनिया में लौटने का रास्ता मिल गया था।


एक रात, उसका पति उसका पीछा करते हुए जंगल में पहुंच जाता है और उसे सब कुछ पता चल जाता है। जब निलाबंती अपनी दुनिया में जाने वाली होती है, तो उसका पति ग्रंथ को छीन लेता है। वह वास्तव में एक बेताल था, जिसने निलाबंती के पति बनकर रहकर इन विद्याओं को हासिल करने की कोशिश की थी। जब निलाबंती को यह सच पता चलता है, तो वह ग्रंथ को श्राप देती है कि जो भी इसे पढ़ेगा, वह पागल हो जाएगा या मर जाएगा। जब यह ग्रंथ लोगों के हाथ लगा, तो कई लोग पागल हो गए और कई की मौत हो गई। इस घटना के बाद, भारत सरकार ने इसे पढ़ने पर रोक लगा दी और अब इस ग्रंथ का कोई पता नहीं है।


© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.