खसरा, जिसे अंग्रेजी में Measles कहा जाता है, तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है। हाल के महीनों में अमेरिका में खसरे के मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम अमेरिका में खसरे से एक और बच्चे की मौत हो गई है, और लगभग 650 लोग इस बीमारी से संक्रमित हैं। यह संक्रामक रोग विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, खासकर उन छोटे बच्चों को जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। भारत भी खसरे से मुक्ति के लिए प्रयासरत है और सरकार मुफ्त टीकाकरण अभियान चला रही है। ऐसे में खसरे के लक्षण और इससे बचाव के उपाय जानना आवश्यक है।
खसरा वायरस के कारण होता है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैलता है। यह वायरस तेजी से संक्रामक होता है और उन लोगों को संक्रमित कर सकता है, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। कुछ मामलों में, यह वायरस हवा में दो घंटे तक जीवित रह सकता है, जिससे स्कूल और अस्पताल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिका में भी खसरा खत्म हो गया था, लेकिन टीकाकरण में लापरवाही के कारण यह फिर से उभर आया है।
खसरे के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 10 से 14 दिन बाद दिखाई देते हैं। संक्रमित व्यक्ति में प्रारंभिक लक्षण निम्नलिखित होते हैं:
जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, चेहरे पर लाल दाने दिखाई देते हैं, जो शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं। दाने आमतौर पर बीमारी के तीसरे दिन शुरू होते हैं और कई दिनों तक बने रह सकते हैं। अन्य लक्षणों में थकान, शरीर में दर्द और दस्त शामिल हो सकते हैं।
खसरे से बचने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। एमएमआर वैक्सीन (खसरा, कण्ठमाला और रूबेला) सुरक्षित और प्रभावी है। इसकी दो खुराक लंबे समय तक इस वायरस से सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) की सिफारिश है कि बच्चों को एमएमआर वैक्सीन की पहली खुराक 12 से 15 महीने की उम्र में और दूसरी खुराक 4 से 6 साल की उम्र में दी जाए।
(इस लेख में दिए गए सुझाव केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी कार्यक्रम को शुरू करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।)