भगवान श्री गणेश को सभी दुखों का नाशक माना जाता है, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। गणेश जी की पूजा के लिए कई मंत्र और स्तोत्र बनाए गए हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है गणेश द्वादश नाम स्तोत्र। यदि इस स्तोत्र का जाप सही तरीके से किया जाए, तो यह हर प्रकार की समस्या का समाधान कर सकता है। आइए, इस स्तोत्र और इसकी पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
इन बारह नामों का पाठ करने से विशेष अवसरों जैसे विद्यारंभ, विवाह, प्रवेश, निर्गम, संग्राम और संकट में सभी विघ्नों का नाश होता है।
साधना विधि
- प्रातः स्नान करके भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वच्छ आसन पर बैठें।
- इसके बाद दीपक जलाकर चंदन, पुष्प, धूपबत्ती और नैवेद्य से गणेश जी की पूजा करें। तत्पश्चात इन बारह नामों के मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें और अपनी समस्या के समाधान के लिए उन्हें प्रसन्न करें।
- इस प्रकार श्री गणेश गणेश द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करने से आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।