ट्रंप टैरिफ की दहशत : नए वित्त वर्ष के दूसरे हफ्ते में भी दुनिया भर के शेयर बाजारों में ट्रंप टैरिफ की दहशत दिखाई दी। इस हफ्ते अमेरिका और चीन में ट्रेड वार शुरू हो गया। अमेरिका ने चीन पर 145 फीसदी टैक्स लगाया तो चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका पर 125 टैक्स लगाने में देर नहीं की। हालांकि ट्रंप ने भारत समेत 75 देशों पर 10 फीसदी बेसलाइन टैक्स लगाते हुए उन्हें 3 माह की और राहत दे दी। अमेरिका, यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया सभी देशों के शेयर बाजार में भारी गिरावट हुई।
कैसी रही सेंसेक्स और निफ्टी की चाल : पहले हफ्ते की तरह ही भारतीय शेयर बाजार में इस सप्ताह भी केवल 4 दिन ही कारोबार हुआ। 7 अप्रैल को टैरिफ की वजह से दुनियाभर के बाजारों में भूचाल आया। भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे। हफ्ते के पहले ही दिन 2,226.79 अंक की गिरावट के साथ 73,137.90 अंक पर जा पहुंचा। निफ्टी भी 742.85 अंक फिसलकर 22,161.60 अंक पर बंद हुआ। 8 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजारों में निवेशकों ने दिलचस्पी दिखाई। सेंसेक्स 1,089.18 अंक के सुधार के साथ 74,227.08 अंक पर जा पहुंचा वहीं निफ्टी 374.25 अंक बढ़कर 22,535.85 अंक पर बंद हुआ।
9 अप्रैल को सेंसेक्स 379.93 अंक की गिरावट के साथ 73,847.15 अंक पर बंद हुआ तो निफ्टी 136.70 अंक फिसलकर 22,399.15 अंक पर। 10 अप्रैल को ट्रंप ने 75 देशों को टैरिफ से राहत की खबर सुनाई। भारतीय शेयर बाजार इन दिन बंद थे। हालांकि अगले दिन भारतीय शेयर बाजारों ने टैरिफ से राहत मिलने का जश्न मनाया। सेंसेक्स 1,310.11 अंक उछलकर 75,157.26 और निफ्टी 429.40 अंक की बढ़त के साथ 22,828.55 अंक पर बंद हुआ। इस तरह भारतीय शेयर बाजारों में इस हफ्ते भारी उतार चढ़ाव हुआ।
क्या है निवेशकों का डर : अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वार ने दुनिया में मंदी और महंगाई के खतरे को बढ़ा दिया है। अमेरिका और चीन एक दूसरे पर ज्यादा से ज्यादा टैरिफ लगाने पर आमादा है। ट्रंप ने 75 देशों को टैरिफ से 90 दिन की राहत दे दी है। इससे इन देशों पर मंडरा रहा खतरा भले ही फिलहाल टल गया हो पर किसी भी देश को पूरी तरह निजात नहीं मिली है। इस वजह से निवेशकों ने शेयर बाजार और क्रूड ऑयल से दूरी बना ली है। एफआईआई ने इस हफ्ते भी जमकर बिकवाली की हालांकि घरेलू निवेशकों की लिवाली से भारतीय शेयर बाजारों को मजबूती मिली।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट : बाजार विशेषज्ञ सागर अग्रवाल के अनुसार, टैरिफ की वजह से बाजार में हाहाकार के बाद ट्रंप के एडवाइजरों ने ही उन पर दबाव बनाया। इससे कई बाजारों में तेजी दिखाई दी। अमेरिका और चीन के ट्रेड वार भारत के लिए यह फायदेमंद हो रहा है। चीन भी भारत को डिस्काउंट दे रहा है। बहरहाल ट्रेड वार से शेयर बाजार को भारी नुकसान हो रहा है। बाजार में अस्थिरता हावी हो रही है। जब इंडेक्स गिरता है तो वह जल्दी कवर कर लेता है पर शेयर में गिरावट आने पर वह उतनी तेजी से नहीं बढ़ता है। इससे निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है। लगातार हो रही बिकवाली की वजह से कई लोगों के पोर्टफोलिया का अमाउंट 50 फीसदी से से भी ज्यादा कम हो चुका है।
उन्होंने कहा कि बाजार में अस्थिरता की वजह से डीआईआई के निवेश में काफी कमी आई है। शेयरों के दाम काफी गिर गए हैं। इसका फायदा भविष्य में एफआईआई उठाने की कोशिश करेंगे। बाजार में फिलहाल जमकर बिकवाली हो रही है। आने वाले समय में फार्मा पर टैरिफ बढ़ाने की तैयारी चल रही है। अगर टैरिफ लगता है तो फार्मा कंपनियों के शेयरों में गिरावट दिखाई देगी। आईटी, ऑटो मोबाइल, रिय लिटी समेत सभी सेक्टरों में गिरावट आई है। निवेशकों को फिलहाल वेट एंड वाच की स्थिति रखनी चाहिए।
बाजार विशेषज्ञ योगेश बागौरा ने कहा कि ट्रंप टैरिफ की वजह से पिछला हफ्ता भारतीय शेयर बाजार उथल पुथल भरा रहा। आने वाले समय में भी यह स्थिति बनी रहेगी। ट्रंप टैरिफ से जिन देशों को 90 दिन की मोहलत मिली उनमें भारत में है। यहां मेटल्स, इजिनियरिंग कंपनियों के साथ ही खाने पीने की चीजों के सामान एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को बुस्ट मिलेगा। हालांकि यह अस्थायी ही होगा।
उन्होंने कहा कि फार्मा को अब तक ट्रंप टैरिफ से बाहर रखा गया है। अगर इस पर टैरिफ लगता भी है तो यह अन्य वस्तुओं की अपेक्षा कम ही होगा। अमेरिका में मेडिकल की कास्ट ज्यादा है। अगर ट्रंप यह कास्टिंग नहीं बनाना चाहता है तो वह इस सेक्टर में टैक्स कम ही रखना पड़ेगा। भारत वहां जेनरिक दवाएं भी एक्सपोर्ट करता है। उन्होंने कहा कि डॉलर इंडेक्स में कमी से रुपया मजबूत हो रहा है। डॉलर इंडेक्स में पिछले 50 सालों में ऐसी गिरावट नहीं देखी गई। रुपए की मजबूती से भी अर्थव्यस्था को मजबूत मिलेगी। रेट ऑफ इंटरेस्ट घटने से भी बाजार में पैसा आए।
बागौरा ने कहा कि चीन पर भारत से कई गुना ज्यादा टैरिफ लगा है। ऐसे में चीनी कंपनियों के लिए अमेरिका में सामान बेचना खासा मुश्किल हो जाएगा। यह टाटा जैसी भारतीय कंपनियों के लिए फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि आईटी में भी अस्थाई राहत मिली है। ऐसे में निवेशकों को इससे दूरी बनाए रखना चाहिए। निफ्टी में फिलहाल 21800 का स्तर पार नहीं हुआ। अगर इसके नीचे क्लोजिंग आती है तो नई मंदी की शुरुआत होगी। अन्यथा बाजार 23500 से 23800 तक पहुंच सकता है।
अस्वीकरण : यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है। किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर लें।