Mammogram: पिछले दिनों अभिनेता आयुष्मान खुराना की पत्नी ताहिरा कश्यप को दूसरी बार ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित होने की खबर आई और सनसनी ही फैल गई. सात साल पहले भी उन्हें ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ था और फिर लंबे इलाज के बाद वह ठीक होने की बात भी कर चुकी थीं. दोबारा कैंसर डिटेक्ट होने के बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘सात साल की तकलीफ या रेगुलर चेकअप. उन्होंने लिखा कि मैं अक्सर सलाह देती हूं कि रेगुलर मैमोग्राफी कराते रहें.’
ताहिरा ने लिखा कि मेरा राउंड-2 शुरू हो चुका है. मेमोग्राफी कराते रहें…लिखी गई लाइन ने एक बार बहस छेड़ दी है कि एक बार तो ठीक हैस लेकिन क्या मेमोग्राफी कराना इतना सेफ है? क्या बार बार मेमोग्राफी कराने से कोई साइड इफेक्ट तो नहीं होते?
इंडिया.कॉम ने मेमोग्राफी से जुड़े कई सवालों के लिए बात की सिटी इमेजिन एंड क्लीनिकल लैब्स सिटी एक्स-रे और स्कैन क्लीनिक के फाउंडर, सीईओ आकार कपूर से. डॉक्टर आकार बताते हैं कि मेमोग्राफी एक सुरक्षित और प्रभावी तकनीक है, जिसका उपयोग ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेस्ट से जुड़ी दूसरी बीमारियों की पहचान के लिए किया जाता है. वैसे एक्सरे से निकलने वाली रेडिएशन से शरीर को जोखिम रहता है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है. डॉक्टर कपूर बताते हैं कि बार-बार टेस्ट कराने से फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट का खतरा बढ़ जाता है, जिससे आपको जरूरत न भी हो तब भी बायोप्सी या फिर दूसरे टेस्ट कराने पड़ सकते हैं.
कई बार कुछ महिलाओं को घबराहट में मितली आने, चक्कर आने की भी शिकायत होती है, लेकिन वह कैंसर की बीमारी से कम होती है इसलिए महिलाएं इसे सह लेती हैं. सर्वोदय अस्पताल ग्रेटर नोएडा में कैंसर विशेषज्ञ चिन्मयी बताती हैं कि ये टेस्ट ज्यादा देर का नहीं होता है तो इसके साइड इफेक्ट्स होते हैं.जिसके लिए डॉक्टर अक्सर बचने की सलाह देते ही रहते हैं. कई लोगों को चक्कर आता है..वोमिटिंग फीलिंग होती है. हालांकि कुछ महिलाओं को डिस्कंफर्ट भी होता है और कुछ को हल्का हल्का दर्द भी महसूस होता है, लेकिन यदि डॉक्टर बार-बार या फिर विशेष परिस्थति में जांच के लिए कह रहे हैं तो इंस्ट्रक्शन का पालन करना ही चाहिए. क्योंकि एक्स-रे से निकलने वाली किरणों से कैंसर होने की आशंका रहती ही है.
अब बड़ा सवाल थी की पहली मेमोग्राफी और दूसरी मेमोग्राफी कराए जाने के बीच में कितने दिनों या फिर महीनों का अंतर होना ही चाहिए? डॉ चिन्मयी कहती हैं कि अक्सर हम छह महीने से एक साल और दो साल का गैप रख सकते हैं मेमोग्राफी के बीच. डॉ. अग्रवाल बताती हैं कि यह निर्भर करता है कि महिला का बीमारी का इतिहास क्या है? अगर मेमोग्राफी चेस्ट में किसी पेन की वजह से हो रहा है या फिर परिवार में इतिहास रहा है या फिर जेनेटिक्स है.
डॉक्टर चिन्मयी बताती हैं कि ब्रेस्ट कैंसर की जांच हम 40 साल के बाद साल में एक बार करवाने की सलाह देते हैं. लेकिन यदि किसी महिला को ब्रेस्ट में लगातार दर्द है, गांठें भी महसूस हो रही है तो साल में या दो साल में एक बार अवश्य कराना चाहिए. चूंकि हर गांठ और हर दर्द कैंसर नहीं होता.अगर परिवार में कैंसर का इतिहास रहा है या फिर परिवार के किसी फर्स्ट फैमिली मेंबर बुआ, मासी या फिर दीदी को कैंसर का इतिहास रहा है तो उन्हें जिस भी उम्र में डायग्नोज हुआ हो आपको 15 साल पहले, यानी 35 साल या फिर 30 साल की उम्र से ही स्क्रीनिंग कराना चाहिए. Genetic factor (BRCA1/BRCA2 म्यूटेशन) मौजूद है, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार हर 6 महीने से 1 साल में मेमोग्राफी की जा सकती है.
अक्सर देखा गया है कि महिलाओं के ब्रेस्ट में बदलाव होता है या फिर दर्द की शिकायत होती है ऐसे में अगर डॉक्टर चाहे तो डायग्नोस्टिक करा सकता है. यदि पहले की मेमोग्राफी में कोई suspicious बदलाव पाए गए हैं, तो डॉक्टर 3 से 6 महीने में एक फॉलो-अप टेस्ट की सलाह दे सकते हैं. बिना medical reasons के बहुत जल्दी-जल्दी मेमोग्राफी कराने से बचना चाहिए.
अब बड़ा सवाल उठता है कि मेमोग्राफी कब कराएं या कब न कराएं? मेमोग्राफी कराते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
डॉ. आकार बताते हैं कि मेमोग्राफी के लिए सही चुनाव का चयन बहुत जरूरी है, इसलिए हमलोग ध्यान रखते हैं कि Menstrual Cycle के एक हफ्ते बाद ब्रेस्ट गम सेन्सिटिव होते हैं, जिससे प्रक्रिया आरामदायक होती है. जब मैमोग्राफी टेस्ट कराने जाएं तो ध्यान रखें कि क्या नहीं करना है. स्किन पर परफ्यूम, डियोडरैंट या फिर पाउडर न लगाएं. यही नहीं डॉक्टरों की सलाह है कि अंडर आर्म के एरिया में कोई लोशन भी न लगाएं, क्योंकि स्क्रीनिंग के दौरान सफेद धब्बे दिखाई दे सकते हैं और रिपोर्ट भी प्रभावित हो सकती हैं.
स्क्रीनिंग के दौरान ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें. दो हिस्सों में बंटे हुए कपड़े(जैसे शर्ट और पैंट) पहनें, ताकि केवल ऊपरी भाग को हटाना आसान हो. डॉक्टरों का कहना है कि अगर महिला ब्रेस्ट फीडिंग करा रही है या प्रैग्नेंट है तो उन्हें ऐसी स्थिति में किसी भी घातक स्क्रीनिंग से बचना चाहिए. मेमोग्राफी ब्रेस्ट कैंसर की जल्दी पहचान करने में मदद करता है, इसलिए ब्रेस्ट में जब भी कोई असामान्य लक्षण दिखें तो बिना देरी किए डॉक्टर से मिलना चाहिए और उनकी सलाह माननी चाहिए.