मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी राज्य सेवा परीक्षा 2025 से जुड़े मामले में जारी किए महत्वपूर्ण निर्देश
Udaipur Kiran Hindi April 16, 2025 08:42 AM

जबलपुर, 15 अप्रैल . मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को एमपीपीएससी राज्य सेवा परीक्षा 2025 से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने पूर्व में जारी की गई उस अंतरिम रोक को यथावत रखा है, लेकिन हाई कोर्ट में मौखिक टिप्पणी करते हुए यह आश्वासन भी दे दिया है कि संभवतः मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा तय तारीख पर ही होगी.

चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल ने साफ संकेत दिया है कि जब तक आयोग परीक्षा प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता नहीं अपनाता और अभ्यर्थियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित नहीं करता,तब तक इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना न्यायसंगत नहीं होगा. लेकिन एमपीपीएससी की ओर से इस मामले में स्थगन आदेशहटाने को लेकर कोर्ट ने यह कहा कि अगली सुनवाई 6 मई को है और एमपीपीएससी की मुख्य परीक्षा 9 जून को है, तो अपनी परीक्षा की तैयारियां शुरु रखिए. तो एक तरह से कोर्ट ने क्या संकेत दे दिए हैं कि सरकार और एमपीपीएससी के जवाब देने के बाद एमपीपीएससी के तय किए गए समय पर ही मुख्य परीक्षा होने वाली है. हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि मप्र लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा के वर्गवार कट-ऑफ अंक सार्वजनिक करे और यह बताए कि किस वर्ग के कितने उम्मीदवारों को किस श्रेणी मेंचयनित किया गया है.

आयोग ने कोर्ट के आदेश पर आज दिनांक 15 अप्रैल को कट-ऑफ मार्क्स एक सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किए. लेकिन जब अदालत ने लिफाफा खोला, तो यह स्पष्ट हुआ कि इसमें कोई गोपनीय जानकारी नहीं है, जिससे यह सवाल खड़ा हुआ कि इसे लिफाफे में सील करके क्यों पेश किया गया. कोर्ट ने इसे तुरंत सार्वजनिक करने का आदेश दिया और एक प्रति याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं को भी सौंपी जाने के निर्देश दिए. इस घटना से आयोग की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है,और न्यायालय ने यह संकेत दिया है कि पारदर्शिता के नाम पर कोई समझौता स्वीकार नहीं होगा.

याचिकाकर्ता सुनीत यादव एवं अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट के समक्ष यह गंभीर आरोप प्रस्तुत किया कि मप्र लोक सेवा आयोग ने अनारक्षित पदों पर केवल सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को ही चयनित किया है, जबकि आरक्षित वर्ग के कई मेधावी अभ्यर्थी, जिनके अंक सामान्य वर्ग से अधिक थे, उन्हें इस वर्ग में स्थान नहीं दिया गया. इससे न केवल योग्य अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन हुआ है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त समान अवसर के सिद्धांत का भी सीधा उल्लंघन हुआ है.अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि पहले के वर्षों की सभी परीक्षाओं में आयोग द्वारा वर्गवार कट-ऑफ अंक प्रकाशित किए जाते रहे हैं, लेकिन इस बारजानबूझकर यह कट ऑफ अंक छुपाए गए और इसके पीछे आयोग का यह तर्क है कि कट ऑफ अंक सामने आने के बाद यह मामले कोर्ट में पहुंचते हैं तो एक तरह से अपनी गलतियों को छुपाने के लिए आयोग इस तरह से कम कर रहा है.

एमपीपीएससी की ओर से अधिवक्ता के द्वारा कोर्ट से यह निवेदन किया गया कि हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के चलते एमपीपीएससी की मुख्य परीक्षाएं संचालित नहीं हो पाएंगे जिससे बड़ी संख्या में छात्रों का नुकसान होगा. एमपीपीएससी ने बताया कि मुख्य परीक्षा का शेड्यूल 9 जून तय किया गया है. हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश को हटाया तो नहीं लेकिन मौखिक रूप से आश्वासन देते हुए कहा कि मामले की अगली सुनवाई 6 मई को रखी जा रही है और उसके एक माह बाद 9 जून को परीक्षाएं हैं तो आप अपनी तैयारी शुरु रखिए.मामले की अगली सुनवाई 6 मई 2025 को निर्धारित की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ रामेश्वर सिंह ठाकुर,विनायक प्रसाद शाह,आरजी वर्मा,पुष्पेंद्र शाह,विद्याराज शाह,शिवांशु कोल और अखिलेश प्रजापति कोर्ट में उपस्थित रहे.

—————

/ विलोक पाठक

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.