राजस्थान सरकार ने खनन क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों को राहत देने के लिए एक और बड़ा फैसला लिया है। खान विभाग ने खदान लाइसेंस धारकों के लिए पर्यावरण मंजूरी की अंतिम तिथि दो महीने बढ़ा दी है, जिससे हजारों खनन धारकों को बड़ी राहत मिली है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और पर्यावरण संबंधी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। चित्तौड़गढ़ में 1500 खदान लाइसेंस धारक, अधिकांश ने भरे फॉर्म चित्तौड़गढ़ जिले में लंबे समय से खनन गतिविधियां चल रही हैं। यहां करीब 1500 खदान लाइसेंस धारक काम कर रहे हैं।
खान विभाग के एमई (माइनिंग इंजीनियर) आहत शाम सिद्दीकी ने बताया कि अब तक 1300 लाइसेंस धारकों के निर्धारित फॉर्म भर दिए गए हैं, जबकि राज्य स्तर से पुनर्मूल्यांकन के लिए भेजे गए 900 पर्यावरण मंजूरी फॉर्म अब वापस आ गए हैं। यह कार्य तेजी से चल रहा है और बाकी प्रक्रिया भी जल्द पूरी कर ली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पर्यावरण समिति ने 2016 में खनन परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी दी थी। इन मंजूरी की वैधता 31 मार्च 2025 तक तय की गई थी। हालांकि, समय पर प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण कई खनन धारक पर्यावरण अनुमति की प्रक्रिया में पिछड़ रहे थे।
सरकार ने समय सीमा बढ़ाई, 2 महीने की मिली राहत
खदान धारकों की परेशानी को समझते हुए राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है। पर्यावरण मंजूरी की अंतिम तिथि दो महीने बढ़ा दी गई है। अब अंतिम तिथि 31 मई कर दी गई है। इससे खनन धारकों को जरूरी दस्तावेज तैयार करने, आवेदन करने और औपचारिकताएं पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है। इस फैसले से खास तौर पर उन खनन धारकों को फायदा होगा जिनके दस्तावेज अभी प्रक्रिया में हैं या जो किसी कारण से समय पर आवेदन नहीं कर पाए।
खान विभाग और राज्य पर्यावरण प्राधिकरण के बीच समन्वय जारी है
सरकार ने स्पष्ट किया है कि खान विभाग लगातार राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) के साथ समन्वय बनाकर काम कर रहा है, ताकि पर्यावरण संबंधी स्वीकृतियों का काम तेजी से और पारदर्शी तरीके से हो सके। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि सभी लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए।
छोटे खनन धारकों को भी मिलेगा लाभ
यह फैसला खासकर छोटे खनन धारकों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जो सीमित संसाधनों के कारण समय पर पर्यावरण संबंधी दस्तावेज तैयार नहीं कर पाते हैं। समय सीमा बढ़ने से अब वे राहत की सांस ले सकेंगे और निर्धारित प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा कर सकेंगे।