इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सख्त कार्रवाई की है। आरोपी डॉक्टर सुरेश चंद्र जालौन के कुठौंद स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तैनात है। उन्हें पद से हटा दिया गया है। साथ ही, उपमुख्यमंत्री ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और दो दिनों के भीतर मामले की पूरी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
पूरा मामला क्या है?
यह घटना करीब आठ महीने पुरानी बताई जा रही है। वीडियो में डॉ. सुरेश चंद्रा चार साल के मासूम बच्चे को जबरन सिगरेट का धुआँ पिलाते नजर आ रहे हैं। मामला तब प्रकाश में आया जब बच्चे के परिजन उसे इलाज के लिए सीएचसी कुहाउंड लेकर आए। बच्चे का इलाज करने के बजाय, डॉक्टर ने उसे सिगरेट देने जैसा खतरनाक और शर्मनाक काम किया।
बच्चे के परिजनों ने घटना की जानकारी जिला सीएमओ डॉ. नरेन्द्र देव शर्मा से शिकायत की। सीएमओ ने तुरंत विभागीय जांच कराई जिसमें वीडियो की सत्यता सामने आई और डॉक्टर को दोषी पाया गया। इसके बाद जब मामला ज्यादा बढ़ गया तो आरोपी डॉ. सुरेश चंद्रा छुट्टी पर चले गए और फिलहाल फरार हैं।
डॉक्टर की भूमिका पर सवाल
एक डॉक्टर का काम सिर्फ मरीजों का इलाज करना ही नहीं है, बल्कि समाज को एक स्वस्थ दिशा दिखाना भी है। लेकिन अपनी जिम्मेदारियों की अनदेखी करते हुए डॉ. सुरेश चंद्रा ने न केवल चिकित्सा नैतिकता का उल्लंघन किया है, बल्कि एक निर्दोष व्यक्ति के जीवन को भी खतरे में डाला है। इस घटना से चिकित्सा पेशे की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने साफ संदेश दिया है कि बच्चों के साथ किसी भी तरह की लापरवाही या अमानवीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।