अभिषेक नायर की बर्खास्तगी के पीछे की कहानी: भारतीय क्रिकेट टीम के सहायक कोच अभिषेक नायर, फील्डिंग कोच टी दिलीप और ट्रेनर सोहम देसाई को कोचिंग स्टाफ से हटा दिया गया है। यह खबर क्रिकेट जगत में हलचल मचा रही है, खासकर नायर की बर्खास्तगी ने सभी को चौंका दिया है, क्योंकि उन्हें केवल आठ महीने पहले ही सपोर्ट स्टाफ में शामिल किया गया था। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया के खराब प्रदर्शन और ड्रेसिंग रूम से लीक हुई खबरों ने इस निर्णय को और भी रहस्यमय बना दिया है। आइए, इस लेख में जानते हैं कि इस बर्खास्तगी के पीछे की असली कहानी क्या है।
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम का प्रदर्शन उम्मीदों से काफी कम रहा। इस दौरे पर मिली हार और खराब खेल ने बीसीसीआई को कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद बीसीसीआई ने एक समीक्षा बैठक आयोजित की, जिसमें सचिव देवाजीत सैकिया, उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, एक राष्ट्रीय चयनकर्ता और भारतीय टीम के प्रमुख सदस्य शामिल थे। इस बैठक में कोचिंग स्टाफ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए, जिसके परिणामस्वरूप नायर, दिलीप और देसाई को हटाने का निर्णय लिया गया। सूत्रों का कहना है कि ड्रेसिंग रूम से लीक हुई खबरें भी इस फैसले का एक महत्वपूर्ण कारण बनीं।
रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय टीम के कुछ सीनियर बल्लेबाज नायर की उपस्थिति से संतुष्ट नहीं थे। यह असंतोष चैंपियंस ट्रॉफी से पहले ही शुरू हो गया था, जब सितांशु कोटक को अतिरिक्त बैटिंग कोच के रूप में शामिल किया गया। नायर की बर्खास्तगी की नींव तब रखी गई थी। सूत्रों का कहना है कि जब बीसीसीआई ने मुख्य कोच गौतम गंभीर के सपोर्ट स्टाफ में बदलाव का निर्णय लिया, तो गंभीर ने नायर के पक्ष में कोई आपत्ति नहीं की। गंभीर ने अन्य कोचों को लाने के लिए लंबी बातचीत की थी, जिससे नायर को बचाने की कोशिश नहीं की गई।
ड्रेसिंग रूम में एकजुटता और विश्वास किसी भी टीम की सफलता के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन जब सीनियर खिलाड़ी किसी कोच की भूमिका से असहज होते हैं, तो यह माहौल को प्रभावित करता है। नायर, जो पहले केकेआर अकादमी में गंभीर के साथ काम कर चुके थे, को गंभीर की सिफारिश पर ही भारतीय टीम में शामिल किया गया था। लेकिन सीनियर खिलाड़ियों के असंतोष और ड्रेसिंग रूम की बदलती स्थिति ने उनकी स्थिति को कमजोर कर दिया। सितांशु कोटक की एंट्री ने नायर की भूमिका को और सीमित कर दिया, जिसके बाद उनकी विदाई तय हो गई।
बीसीसीआई ने हमेशा प्रदर्शन को प्राथमिकता दी है। ऑस्ट्रेलिया दौरे की असफलता और ड्रेसिंग रूम से लीक हुई खबरों ने बोर्ड को त्वरित कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। यह कदम न केवल कोचिंग स्टाफ के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बीसीसीआई अब ड्रेसिंग रूम के माहौल को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। नायर की बर्खास्तगी एक उदाहरण है कि बोर्ड अब सख्ती से फैसले लेने को तैयार है।
अभिषेक नायर की आठ महीने में बर्खास्तगी ने भारतीय क्रिकेट में एक नई बहस छेड़ दी है। ऑस्ट्रेलिया दौरे की नाकामी, सीनियर खिलाड़ियों का असंतोष, और ड्रेसिंग रूम से लीक की अफवाहें इस कहानी के प्रमुख हिस्से हैं। यह घटना दर्शाती है कि क्रिकेट के मैदान के बाहर भी उतनी ही रणनीति और गतिशीलता काम करती है, जितनी मैदान पर। क्या यह बदलाव भारतीय टीम को नई दिशा देगा, या यह और सवाल खड़े करेगा? यह समय ही बताएगा।