हाल ही में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) में अनियमितताओं और धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद सरकार ने इस योजना की निगरानी और पारदर्शिता को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। शासन सचिव वित्त (व्यय) नवीन जैन की ओर से दिए गए ताजा बयान से साफ हो गया है कि अब आरजीएचएस में किसी भी तरह की लापरवाही या धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। योजना में सामने आई अनियमितताओं के बाद अब राज्य सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की मदद से दावों का विश्लेषण कर रही है। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर या फार्मा स्टोर लाभार्थियों के नाम पर फर्जी दावे न कर सके।
जिन संस्थानों पर संदेह है, उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है और दोषी पाए जाने पर डिएम्पैनलमेंट, पेनाल्टी और वसूली की कार्रवाई की गई है। हालांकि यह तकनीकी निगरानी केवल एक पक्ष है। योजना की सफलता और पारदर्शिता के लिए लाभार्थियों की सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। चूंकि आरजीएचएस पूरी तरह से कैशलेस योजना है, इसलिए लाभार्थियों को अपना आरजीएचएस कार्ड, ओटीपी और ओपीडी वॉलेट सुरक्षित रखना चाहिए। यदि कोई निजी अस्पताल या फार्मेसी ओटीपी मांगता है, तो सुनिश्चित करें कि यह अधिकृत व्यक्ति को ही दिया जाए।
फर्जी पर्चियां, अनावश्यक दवाएं और अनावश्यक सर्जरी
जैन ने यह भी कहा कि कई बार लाभार्थियों को बिना उचित कारण के आईपीडी में भर्ती कर लिया जाता है या दवाएं और जांच लिख दी जाती हैं। उन्होंने सलाह दी कि यदि किसी को संदेह है कि उनके नाम पर फर्जी इलाज या दवा वितरित की जा रही है, तो तुरंत हेल्पलाइन 181 पर शिकायत करें या आरजीएचएस पोर्टल के माध्यम से रिपोर्ट करें।
भविष्य में योजना को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन को भी शामिल किया जा रहा है, जिससे अनधिकृत दावों को और अधिक प्रभावी ढंग से रोका जा सकेगा। राज्य सरकार केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद जल्द ही इस व्यवस्था को लागू करने जा रही है।फार्मासिस्ट और फार्मा दुकानदारों के लिए भी सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। ओपीडी पर्ची पर लाभार्थी का नाम, डॉक्टर के हस्ताक्षर और आरएमसी नंबर स्पष्ट रूप से जांचने के निर्देश दिए गए हैं। इससे फर्जी पर्चियों के आधार पर दवाओं के वितरण पर रोक लगेगी।
सरकार और लाभार्थी दोनों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए
मार्च और अप्रैल में सरकार ने योजना को बेहतर बनाने और जागरूकता फैलाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबंधित पक्षों से विस्तार से चर्चा की। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार इस योजना को सही दिशा में ले जाने के लिए तकनीक, पारदर्शिता और जन जागरूकता तीनों स्तरों पर काम कर रही है।आरजीएचएस जैसी कल्याणकारी योजनाएं तभी कारगर हो सकती हैं, जब सरकार और लाभार्थी दोनों अपनी जिम्मेदारी समझें। तकनीक अपनी जगह है, लेकिन योजना की असली सुरक्षा सजग नागरिकों के हाथ में है।