बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट को लेकर की गई टिप्पणी पर विवाद बढ़ता जा रहा है। अधिवक्ता अनस तनवीर ने इस मामले में देश के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि को चिट्ठा लिखा और बीजेपी सांसद के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की इजाजत मांगी है। बता दें कि नियम के तहत कंटेप्ट मामले के लिए अटॉर्नी जनरल से इजाजत लेनी होती है।
याचिकाकर्ता की ओर से वक्फ अधिनियम मामले में पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने आरोप लगाया है कि निशिकांत दुबे ने टिप्पणी 'बेहद अपमानजनक' और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करने के उद्देश्य से टिप्पणी की है। याचिकाकर्ता के आवेदन में कहा गया है कि निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट को ही बनाना है, तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर भी निशाना साधा था और उन्हें देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया। पत्र में कहा कि दुबे की टिप्पणी 'गंभीर रूप से अपमानजनक' और 'खतरनाक रूप से भड़काऊ' हैं।
वहीं इससे पहले कांग्रेस ने बीजेपी के सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा उच्चतम न्यायालय की आलोचन किए जाने के बाद पार्टी को खुद से इससे अलग करने की कवायद को ‘‘डैमेज कंट्रोल’’ करार दिया था और जानना चाहा था कि दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
जयराम रमेश ने कहा था कि भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पर दो सांसदों द्वारा की गई ‘‘घृणित टिप्पणियों’’ से ‘‘निवर्तमान बीजेपी अध्यक्ष’’ का दूरी बनाना कोई मायने नहीं रखता।