अनुराग कश्यप की शिक्षा से जुड़ी रोचक कहानी: वैज्ञानिक बनने का सपना और फिल्म निर्देशन तक का सफर
Rochak Sr Editor April 21, 2025 10:05 PM

भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और लेखक अनुराग कश्यप आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। ब्लैक फ्राइडे, गैंग्स ऑफ वासेपुर, और देव.डी जैसी फिल्मों से उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अनुराग कभी एक वैज्ञानिक बनना चाहते थे।

इस लेख में जानिए उनकी शिक्षा, बचपन के सपने और फिल्मों तक के उनके प्रेरणादायक सफर के बारे में।

📘 शैक्षणिक सफर: देहरादून से दिल्ली यूनिवर्सिटी तक

अनुराग कश्यप का जन्म 10 सितंबर 1972 को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई देहरादून से हुई और फिर आगे की शिक्षा ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में हुई। बचपन में उनका सपना था कि वे वैज्ञानिक बनें, इसी कारण उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में जूलॉजी (प्राणी विज्ञान) में ग्रेजुएशन किया।

कॉलेज के दौरान ही अनुराग थिएटर से जुड़ गए। उन्होंने जन नाट्य मंच नामक थियेटर ग्रुप में हिस्सा लिया और कई नुक्कड़ नाटक किए। इसी दौरान उन्होंने एक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बाइसिकल थीव्स फिल्म देखी, जिसने उनके सोचने का नजरिया बदल दिया और उन्हें फिल्मों की ओर आकर्षित किया।

🎬 फिल्मों की दुनिया में पहला कदम

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुराग मुंबई पहुंचे और फिल्मों में काम शुरू किया। उन्होंने शुरुआत टीवी के लिए स्क्रिप्ट लिखने से की। उनका पहला बड़ा ब्रेक मिला राम गोपाल वर्मा की फिल्म “सत्या” (1998) में बतौर को-राइटर।

उनकी पहली निर्देशित फिल्म "पांच" थी, जो कुछ विवादों के कारण रिलीज नहीं हो पाई। हालांकि, उनकी अगली फिल्म “ब्लैक फ्राइडे” (2004) ने उन्हें इंडस्ट्री में खास पहचान दिलाई। यह फिल्म 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित थी और इसे काफी सराहना मिली।

🎞️ प्रसिद्ध फिल्में और उनका योगदान

अनुराग कश्यप ने कई अनोखी और प्रयोगात्मक फिल्में बनाई हैं:

  • नो स्मोकिंग (2007) – एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर

  • देव.डी (2009) – देवदास की आधुनिक व्याख्या

  • गुलाल (2009) – राजनीति पर आधारित फिल्म

  • गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) – एक कल्ट क्लासिक गैंगस्टर ड्रामा

अनुराग की फिल्मों को उनकी रियलिस्टिक अप्रोच, गहराई से लिखे गए किरदारों और समाजिक मुद्दों के चित्रण के लिए जाना जाता है।

📝 निष्कर्ष

अनुराग कश्यप की कहानी यह दिखाती है कि व्यक्ति का जुनून कब और कैसे बदल सकता है, यह कोई नहीं जानता। एक समय वैज्ञानिक बनने का सपना देखने वाले अनुराग आज देश के सबसे साहसी और प्रतिभाशाली फिल्ममेकर्स में गिने जाते हैं। उनका सफर उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को फॉलो करना चाहते हैं।

नोट: यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है।

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