इन पेड़ों की लकड़ी से भगवान की मूर्ति बनाना क्यों वर्जित है? जानिए धार्मिक कारण
Rochak Sr Editor April 22, 2025 02:05 PM

भगवान की मूर्तियाँ हर लकड़ी से नहीं बनतीं: किन पेड़ों की लकड़ी वर्जित है और क्यों

हिन्दू धर्म में मूर्ति निर्माण को एक गहन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रक्रिया माना गया है, जिसमें कई धार्मिक नियमों का पालन आवश्यक होता है। इन्हीं में से एक है – मूर्ति निर्माण के लिए उपयुक्त लकड़ी का चयन। अगर गलत लकड़ी का प्रयोग किया जाए, तो ना केवल मूर्ति का प्रभाव नष्ट होता है, बल्कि पूजा भी निष्फल मानी जाती है।

🚫 इन पेड़ों की लकड़ी मूर्ति निर्माण में वर्जित मानी गई है:

  1. बबूल (Acacia)
    इसे तामसिक और अशुद्ध माना जाता है। इसकी लकड़ी तीखी और कंटीली होती है, जो ईश्वरीय सौम्यता के विपरीत है।

  2. नीम
    नीम औषधीय और पवित्र है, लेकिन इसकी लकड़ी तभी उपयोगी मानी जाती है जब विधिपूर्वक संस्कार किया गया हो।

  3. पलाश (ढाक)
    यह यज्ञों में उपयोग होता है, लेकिन इसकी लकड़ी जल्दी टूटने वाली होती है, जिससे यह मूर्ति निर्माण के लिए अनुपयुक्त हो जाती है।

  4. आम की लकड़ी
    आम पवित्र वृक्ष है, लेकिन इसकी लकड़ी को मूर्तियों के लिए अनुपयुक्त माना गया है। इसे केवल हवन या पूजन सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।

  5. शमी और बेल वृक्ष
    ये पूजा में विशेष स्थान रखते हैं, लेकिन मूर्ति निर्माण में इनकी लकड़ी का प्रयोग नहीं किया जाता।

  6. श्मशान में उगने वाले या कीड़े-मकोड़ों के घर वाले पेड़
    जो पेड़ श्मशान के पास उगते हैं या जिनमें चींटी-सांप का घर होता है, उनकी लकड़ी अपवित्र मानी जाती है।

✅ किन लकड़ियों से बन सकती हैं भगवान की मूर्तियाँ:

  • चन्दन (Sandalwood)
    अत्यंत पवित्र और सुगंधित। विशेषकर श्रीविष्णु और श्रीकृष्ण की मूर्तियों के लिए उत्तम मानी जाती है।

  • सागवान (Teakwood)
    मजबूत और टिकाऊ लकड़ी। शास्त्रों में इसके प्रयोग की मान्यता है।

  • श्वेतार्क (सफेद आक)
    श्रीगणेश की मूर्ति निर्माण के लिए श्रेष्ठ। दुर्लभ और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली।

📌 निष्कर्ष | Conclusion:

भगवान की मूर्ति केवल एक आकार नहीं होती, वह शक्ति, श्रद्धा और ऊर्जा का प्रतीक होती है। इसलिए सही लकड़ी का चुनाव न केवल मूर्ति की स्थिरता बल्कि उसकी आध्यात्मिक प्रभावशीलता के लिए भी आवश्यक है। परंपरा और शास्त्रों की जानकारी से सजग रहकर ही हम पूजा को सफल और प्रभावशाली बना सकते हैं।

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