प्राकृतिक उपचारों की बात करें तो आयुर्वेद में अशोक का पेड़ एक विशेष स्थान रखता है। “अशोक” का शाब्दिक अर्थ है — “जिससे शोक यानी दुख दूर हो।” यह नाम ही इस वृक्ष के महत्व को दर्शाता है। खासकर महिलाओं की सेहत से जुड़ी समस्याओं में अशोक की छाल को लंबे समय से एक कारगर और भरोसेमंद उपाय माना गया है।
आइए जानें कि कैसे यह प्राचीन औषधि आज भी महिलाओं के लिए राहत का माध्यम बन सकती है।
महिलाओं की प्रमुख समस्याएं और अशोक की छाल के लाभ
1. पीरियड्स में होने वाले दर्द और ऐंठन (क्रैम्प्स)
अशोक की छाल में प्राकृतिक ऐंटी-स्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो गर्भाशय की मांसपेशियों को आराम देकर पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
2. अनियमित मासिक चक्र (Irregular Periods)
अशोक की छाल हार्मोनल संतुलन बनाने में सहायक मानी जाती है। इसका सेवन मासिक धर्म को नियमित करने में मदद कर सकता है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो पीसीओडी या थायरॉइड जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं।
3. अत्यधिक रक्तस्राव (Heavy Bleeding)
अशोक की छाल को आयुर्वेद में रक्तस्राव नियंत्रक माना गया है। यह यूटेराइन टॉनिक की तरह काम करती है और अत्यधिक ब्लीडिंग को रोकने में सहायता करती है।
4. कमजोरी और थकान
पीरियड्स या प्रसव के बाद की कमजोरी को दूर करने के लिए अशोक की छाल टॉनिक की तरह काम करती है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और खून की कमी को दूर करने में मदद करती है।
अशोक की छाल का उपयोग कैसे करें?
1. काढ़ा (Decoction):
2. अशोकारिष्ट:
यह एक पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधि है, जो अशोक की छाल सहित अन्य जड़ी-बूटियों से बनाई जाती है। इसे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार लिया जा सकता है।
सावधानियां:
अशोक की छाल एक ऐसा प्राकृतिक उपाय है जो सदियों से महिलाओं की सेहत की रक्षा करता आया है। बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव के इस दौर में यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी फिर से प्रासंगिक हो गई है। यदि आप प्राकृतिक उपचार की राह पर चलना चाहती हैं, तो अशोक की छाल आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है।