मधुबनी, बिहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के मधुबनी जिले में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कुछ ही दिनों बाद यह पहला सार्वजनिक मंच था, जहां पीएम मोदी ने खुलकर देश का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने अचानक कुछ समय के लिए अंग्रेजी भाषा में बात की, जिसने सबका ध्यान खींचा।
पीएम मोदी आमतौर पर हिंदी में ही अपने विचार रखते हैं, चाहे वह देश में हो या विदेश में। लेकिन इस बार उन्होंने इंग्लिश में बात करने का फैसला क्यों लिया? इसके पीछे कुछ खास रणनीतिक कारण छिपे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के बीच में अंग्रेजी में कहा:
“आज बिहार की धरती से मैं दुनिया को कहना चाहता हूं कि भारत उन आतंकियों को ढूंढेगा, उन्हें सजा देगा, और जो उन्हें समर्थन दे रहे हैं, उन्हें भी नहीं छोड़ा जाएगा। आतंकवाद कभी भारत के हौसले को कमजोर नहीं कर सकता। हर कदम उठाया जाएगा जिससे न्याय हो। आज पूरा देश एकजुट है। और जो भी देश मानवता में विश्वास रखते हैं, वो आज हमारे साथ हैं। हमने जिन-जिन देशों का समर्थन पाया है, हम उनके आभारी हैं।”
यह बयान केवल भाषाई परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय संदेश था।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी की इस रणनीति के दो प्रमुख मकसद थे:
दुनिया तक भारत का संदेश पहुंचाना:
पहलगाम हमले के बाद कई देशों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई। पीएम मोदी उन सभी को धन्यवाद देना चाहते थे और आतंक के खिलाफ भारत की नीति को भी स्पष्ट करना चाहते थे। इसके लिए अंग्रेजी सबसे उपयुक्त माध्यम था।
विदेशी मीडिया के लिए स्पष्ट बयान:
चूंकि यह हमला वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में है, विदेशी मीडिया इस कार्यक्रम पर नजर बनाए हुए थी। पीएम मोदी ने अपनी बात इस तरह रखी कि वह सीधे दुनिया भर में प्रसारित हो सके और भारत की मंशा बिना किसी अनुवाद के स्पष्ट हो।
पीएम मोदी की यह भाषा-चयन न केवल कूटनीतिक रूप से प्रभावशाली रही, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब केवल घरेलू नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी आत्मविश्वास से अपनी बात रख रहा है।