क्या होता है कलमा, जिसे आतंकियों के सामने पढ़ने से पहलगाम में बच गई हिंदू की जान?….
Himachali Khabar Hindi April 24, 2025 06:42 PM

Pahalgam Terror Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे भारत में गुस्से का माहौल है, हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया है. आतंकवादियों ने पहलगाम में लोगों से कलमा पढ़ने के लिए कहा जो लोग नहीं पढ़ पाएं उन्हें मौत की नींद सुला दी. इस हमले में 26 लोग मारे गए हैं. कलमा पढ़ने की वजह से एक प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दौरान बाल-बाल बच गए. आखिर क्या होता है कलमा आइए जानते हैं.

प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने बताया कि मेरे आस-पास हर कोई (‘कलमा’) का जाप कर रहा था, मैं भी जाप कर रहा था. उस आदमी ने बंदूक मेरे सिर की ओर तान दी, मेरी बात सुनी और फिर चला गया. मैं बस ‘ला इलाही’ का जाप कर रहा था.

रिपोर्ट के मुताबिक बता दें कि 1450 साल पहले इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने इसके पांच स्तंभ कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज बनाएं. जिनमें कलमा इस्लाम का पहला सिद्धांत है. कलमा का इस्लामिक अर्थ है शहादत यानी गवाही या शपथ है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कलमा एकईश्वरवाद यानी एक भगवान (अल्लाह) के एक होने की घोषणा करता है. पैगंबर मोहम्मद के अल्लाह का मैसेंजर होने की घोषणा करता है. ऐसा माना जाता है कि केवल एक बार पूरी आस्था से कलमा पढ़ना ही मुसलमान बन जाने के लिए पर्याप्त होता है.

इस्लाम में महत्वपूर्ण स्थान है. इस्लाम में दाखिल होने के लिए पहला कलमा तय्यब पढना आवश्यक है, कलमा में ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदूं रसूल अल्लाह, पढ़ा जाता है. इसमें पहली लाइन का शाब्दिक अर्थ है-अल्लाह के अलावा कोई दूसरा भगवान नहीं है. दूसरी लाइन का मतलब है-मुहम्मद अल्लाह के पैगंबर हैं.

हालांकि शिया मुसलमानों में एक और लाइन होती है- अलीयुन वलीउल्लाह. इसका मतलब होता है-अल्लाह के प्रतिनिधि अली हैं. दुनियाभर में सुन्नी और शिया मुस्लिम कलमा पढ़ते हैं. यह एक बेहद सामान्य धार्मिक रवायत है. हालांकि जबरन कलमा पढ़वाना गुनाह है.

यह कोई पहला मौका नहीं है जब कलमा चर्चाओं में आया है. पहले भी कई ऐसे मामले आ चुके हैं. बता दें कि दुनिया के कई इस्लामिक देशों ने अपने झंडे पर भी कलमे को जगह दी है. इन देशों में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान, सऊदी अरब जैसे देश शामिल हैं.

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