छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए: एक गाना जिसने कई लोगों की ज़िंदगी बदल दी”
Newsindialive Hindi April 24, 2025 06:42 PM
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए: एक गाना जिसने कई लोगों की ज़िंदगी बदल दी”


हर उम्र के लोगों की संगीत को लेकर अलग पसंद होती है—बुजुर्ग भजन-कीर्तन सुनते हैं, तो युवा नए-नए ट्रेंडिंग गानों में खो जाते हैं। लेकिन कुछ गाने ऐसे होते हैं जो दिल को छूते हैं और कभी-कभी तो जीवन को बचा भी लेते हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही गाने की, जिसने न केवल दिलों को छुआ बल्कि कई लोगों को आत्महत्या जैसे खतरनाक फैसलों से भी रोका। संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं होता, कभी-कभी ये जिंदगी का सहारा भी बन जाता है।

57 साल पुरानी फिल्म ‘सरस्वतीचंद्र’ का गाना

यह गाना 1968 में आई फिल्म ‘सरस्वतीचंद्र’ से है। इस फिल्म का निर्देशन गोविंद सरैया ने किया था और इसकी कहानी मशहूर गुजराती लेखक गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी के उपन्यास पर आधारित थी। फिल्म में नूतन, मनीष, विजया चौधरी और रमेश देव जैसे सितारों ने अभिनय किया था।

‘छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए’ — लता मंगेशकर की अमर आवाज में

इस गीत को स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने गाया था। इसके बोल लिखे थे इंदीवर ने और संगीत दिया था मशहूर जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी ने।
इस गाने के बोल इतने सच्चे और भावुक हैं कि उस दौर में ये टूटे दिलों की आवाज बन गया था। आज भी जब लोग इसे सुनते हैं, तो उन्हें लगता है जैसे किसी ने उनके दिल की बात कह दी हो।

इस गाने ने कई आत्महत्याएं रोकीं

इस गीत को लेकर एक खास बात कही जाती है कि इसने आत्महत्या का विचार कर रहे कई लोगों को बचाया।
गाने का संदेश सीधा था—”प्यार ज़रूरी है, लेकिन ज़िंदगी सिर्फ उसी के इर्द-गिर्द नहीं घूमती।”
इसमें कहा गया है कि खुद को बचाना और अपने सपनों को जीना भी उतना ही जरूरी है जितना किसी और से प्यार करना।
नूतन और मनीष की अदाकारी ने इस गाने के भाव को और भी प्रभावशाली बना दिया।

‘सरस्वतीचंद्र’ की कहानी भी थी भावनाओं से भरी

फिल्म की कहानी सरस्वतीचंद्र नाम के युवक की थी, जिसकी परवरिश उसकी सौतेली मां ने की थी और वो प्यार से वंचित रहा। उसके पिता उसकी शादी एक पढ़ी-लिखी लड़की, कुमुद से तय करते हैं। पहले तो वह मना करता है, लेकिन जब वह कुमुद से मिलता है, तो दोनों एक-दूसरे को चाहने लगते हैं।
फिर हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि दोनों की राहें बदल जाती हैं। यही इस फिल्म की भावनात्मक गहराई थी, जिसने दर्शकों को बांधकर रखा।

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