कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹7,500 प्रति माह करने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। अब इस दिशा में सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, जिससे लाखों पेंशनधारकों को राहत मिलने की संभावना है।
EPS-95 योजना की शुरुआत 16 नवंबर 1995 को हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद मासिक पेंशन प्रदान करना है। इस योजना के तहत, नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का 8.33% EPS में योगदान करता है, जबकि केंद्र सरकार 1.16% का अतिरिक्त योगदान देती है।
2014 में, केंद्र सरकार ने न्यूनतम पेंशन राशि ₹1,000 निर्धारित की थी। हालांकि, तब से महंगाई में कई गुना वृद्धि हो चुकी है, लेकिन पेंशन राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
EPS-95 के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों की राष्ट्रीय समिति लंबे समय से न्यूनतम पेंशन राशि को ₹7,500 प्रति माह करने और महंगाई भत्ता (DA) जोड़ने की मांग कर रही है। इस संबंध में, 2025 के बजट से पहले, EPS-95 के पेंशनधारकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और अपनी मांगें प्रस्तुत कीं। वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा।
संसद की एक स्थायी समिति ने श्रम मंत्रालय को EPS की तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन (third-party evaluation) करने का निर्देश दिया है, जिसे 2025 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। समिति का मानना है कि 2014 की तुलना में 2024 में जीवन यापन की लागत में कई गुना वृद्धि हुई है, जिससे न्यूनतम पेंशन राशि में वृद्धि आवश्यक हो गई है।
यदि न्यूनतम पेंशन राशि को ₹7,500 प्रति माह किया जाता है, तो यह लगभग 650% की वृद्धि होगी, जिससे लाखों पेंशनधारकों को सीधा लाभ मिलेगा। हालांकि, इस वृद्धि से EPFO और सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा, और इसके लिए अतिरिक्त बजटीय समर्थन की आवश्यकता होगी।
EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन राशि में वृद्धि की मांग वर्षों से की जा रही है। अब संसदीय समिति की सिफारिशों और सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया से यह उम्मीद जगी है कि पेंशनधारकों को जल्द ही राहत मिल सकती है। हालांकि, इस निर्णय के कार्यान्वयन में वित्तीय और प्रशासनिक चुनौतियाँ होंगी, जिन्हें सरकार और EPFO को मिलकर सुलझाना होगा।