झेलम नदी में अचानक पानी का स्तर बढ़ने से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से लेकर पंजाब प्रांत तक हड़कंप मच गया है। बिना किसी पूर्व चेतावनी के पानी छोड़े जाने की खबरों ने न केवल स्थानीय लोगों में दहशत फैलाई है, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को भी बढ़ा दिया है। आखिर क्या है इस बाढ़ का कारण और इसका असर कितना गंभीर हो सकता है? आइए, इस संकट की गहराई में उतरते हैं।
झेलम में पानी का उफान
हाल ही में झेलम नदी का जलस्तर सामान्य से 7-8 फीट ऊपर पहुंच गया है, जिसके चलते POK के मुजफ्फराबाद और आसपास के इलाकों में बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से नदी के किनारे न जाने और अपने पशुओं को भी सुरक्षित रखने की अपील की है। कुछ लोगों का कहना है कि रात तक पानी का स्तर 20-30 फीट तक बढ़ सकता है, जो स्थिति को और गंभीर बना सकता है। इस अचानक उफान ने न केवल घरों और खेतों को खतरे में डाला है, बल्कि बुनियादी ढांचे पर भी भारी दबाव डाला है।
भारत पर आरोप, तनाव में इजाफा
पाकिस्तानी प्रशासन और कुछ स्थानीय लोगों ने भारत पर बिना पूर्व सूचना के झेलम नदी में अतिरिक्त पानी छोड़ने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि यह कदम जानबूझकर उठाया गया, जिसने बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी। दूसरी ओर, भारत ने इन आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। कुछ लोग इसे हाल ही में भारत द्वारा सिंधु जल संधि को रद्द करने की खबरों से जोड़कर देख रहे हैं, जिसने दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और हवा दी है। हालांकि, इन दावों की सत्यता अभी अस्पष्ट है और इसे लेकर दोनों पक्षों से और जानकारी की जरूरत है।
POK से पंजाब तक फैला संकट
इस बाढ़ का असर सिर्फ POK तक सीमित नहीं है। पंजाब प्रांत के कई इलाकों में भी नदी के किनारे बसे गांवों में खतरा मंडरा रहा है। मुजफ्फराबाद में जहां लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं, वहीं पंजाब में किसान अपनी फसलों और मवेशियों को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। बाढ़ की चेतावनी ने स्थानीय प्रशासन को आपातकालीन उपाय करने के लिए मजबूर कर दिया है, लेकिन संसाधनों की कमी और अचानक आए इस संकट ने राहत कार्यों में बाधा डाली है।
पर्यावरण और मानवीय चुनौतियां
झेलम नदी का यह उफान केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण और मानवीय चुनौतियों का भी प्रतीक है। जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित जल प्रबंधन ने नदियों के व्यवहार को और अप्रत्याशित बना दिया है। इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों को लेकर लंबे समय से चली आ रही असहमति ने इस संकट को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को आपसी सहयोग बढ़ाकर ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर रणनीति बनानी होगी।
लोगों की सुरक्षा और भविष्य की राह
फिलहाल, पाकिस्तान में बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य शुरू हो चुके हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और बुनियादी जरूरतों जैसे भोजन, पानी और आश्रय की व्यवस्था करने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन यह संकट एक बार फिर जल प्रबंधन और आपदा तैयारियों की कमियों को उजागर करता है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है।