पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर उन्हें देश से बाहर भेजना शुरू कर दिया है। इस बीच सोशल मीडिया पर यह दावा वायरल होने लगा कि शहीद कांस्टेबल मुदस्सिर अहमद की मां को भी पाकिस्तान डिपोर्ट कर दिया गया है।
हालांकि, बारामूला पुलिस ने इन सभी दावों को झूठा और निराधार बताया है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि शहीद कांस्टेबल मुदस्सिर उर्फ ‘बिंदास’ की मां शमीमा अख़्तर को पाकिस्तान नहीं भेजा गया है।
भारत में ही रहने की अनुमति मिली
अधिकारियों के अनुसार, शमीमा अख्तर समेत कई पाकिस्तानी मूल के नागरिक जो पिछले कई दशकों से कश्मीर घाटी में रह रहे थे, उन्हें जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों से इकट्ठा कर पंजाब ले जाया गया, ताकि पाकिस्तान को सौंपा जा सके। लेकिन शमीमा अख्तर को इस लिस्ट से हटा दिया गया और उन्हें भारत में ही रहने की अनुमति दे दी गई।
शहीद कांस्टेबल के बहनोई मोहम्मद यूनुस ने भी पुष्टि की कि शमीमा को डिपोर्ट नहीं किया गया और वह सुरक्षित घर लौट आई हैं। उन्होंने भारत सरकार और गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताते हुए कहा कि शमीमा 45 साल से भारत में रह रही हैं और वह पीओके की रहने वाली हैं, जो भारत का ही हिस्सा है।
मुदस्सिर की शहादत का सम्मान
2022 में शौर्य चक्र से सम्मानित कांस्टेबल मुदस्सिर ने एक आतंकी साजिश को नाकाम करते हुए जान गंवाई थी। उनकी वीरता के सम्मान में बारामूला के मुख्य चौक का नाम बदलकर ‘शहीद मुदस्सिर चौक’ रखा गया है। मुदस्सिर के पिता मोहम्मद मकसूद जम्मू-कश्मीर पुलिस में अधिकारी रहे हैं और अब सेवानिवृत्त हैं।
परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील की थी कि शमीमा अख्तर को भारत में ही रहने दिया जाए। आखिरकार सरकार ने इस अपील को स्वीकार किया और एक वीर जवान की मां को अपने ही देश में रहने का अधिकार दिया।
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