कभी-कभी जिंदगी में ऐसे पल आते हैं जब हमें लगता है कि हम किसी सपने में हैं। झारखंड के सिंहभूम जिले के रायपहाड़ी गांव में एक दिहाड़ी मजदूर लादुन मुर्मू के साथ भी ऐसा ही हुआ। उसे मनरेगा के तहत रोजाना 198 रुपये कमाने के बावजूद साढ़े तीन करोड़ रुपये का जीएसटी नोटिस मिला।
जब लादुन को यह नोटिस प्राप्त हुआ, तो पुलिस की एक टीम उसके घर पहुंची, जो उसे जीएसटी चोरी के आरोप में गिरफ्तार करने आई थी।
हालांकि, जब पुलिस ने लादुन की स्थिति देखी और मामले की जांच शुरू की, तो एक बड़ा घोटाला सामने आया। पुलिस को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जिस व्यक्ति को करोड़ों की टैक्स चोरी के आरोप में पकड़ा जाना था, वह तो बेहद गरीब था। आधिकारिक रिकॉर्ड में लादुन का नाम एमएस स्टील के निदेशक के रूप में दर्ज था, और उस पर 5.58 करोड़ के लेन-देन में 3.5 करोड़ की जीएसटी चोरी का आरोप था।
झारखंड के जीएसटी विभाग ने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जमशेदपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. एम. तमिल वनन ने बताया कि पुलिस टीम लादुन को गिरफ्तार करने गई थी, लेकिन उन्हें पता चला कि वह तो एक दिहाड़ी मजदूर है। जांच में यह भी सामने आया कि किसी ने उसके पैन और आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल किया। ग्रामीणों के विरोध के कारण पुलिस ने लादुन को रिहा कर दिया। लादुन ने बताया कि वह मनरेगा के तहत काम करता है, ऐसे में वह किसी कंपनी का निदेशक कैसे हो सकता है?