कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का पहलगाम आतंकी हमले पर दिया बयान तूल पकड़ रहा है! इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2 मई 2025 को हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका खारिज कर दी, जिसमें वाड्रा के बयान की विशेष जांच टीम (SIT) से जाँच और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कार्रवाई की माँग थी। तो, अब इस कानूनी जंग का अगला रुख क्या होगा? आइए, तह तक जाते हैं!
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए। वाड्रा ने बयान दिया, “आतंकियों ने गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत में मुसलमानों के साथ बुरा बर्ताव हो रहा है।” इसने सोशल मीडिया पर आग लगा दी। X पर @gauravbhatiabjpने लिखा, “वाड्रा ने आतंकियों को ढाल दी!” (@gauravbhatiabjp , 23 अप्रैल 2025)। बीजेपी ने इसे “विभाजनकारी” और “आतंकियों को जायज ठहराने वाला” बताया।
हिंदू फ्रंट की वकील रंजना अग्निहोत्री ने दावा किया कि वाड्रा का बयान BNS की धारा 152 (राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा), 302 (सांप्रदायिक नफरत), और 399 (आतंकी गतिविधि) के तहत अपराध है। याचिका में इसे “गजवा-ए-हिंद” को बढ़ावा देने वाला बताया गया। हालांकि, जस्टिस राजन रॉय और ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने कहा, “याचिकाकर्ता FIR या आपराधिक शिकायत जैसे अन्य कानूनी रास्ते अपना सकते हैं।” कोर्ट ने SIT गठन से इनकार कर दिया।
वाड्रा ने 28 अप्रैल को फेसबुक पर सफाई दी, “मेरे बयान को गलत समझा गया। मैं आतंकवाद की निंदा करता हूँ।” फिर भी, विवाद थमा नहीं। अब याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर कर सकते हैं। अगर वो स्थानीय कोर्ट में FIR दर्ज करते हैं, तो मामला और तूल पकड़ सकता है। X पर @AmanChopra_ने लिखा, “वाड्रा का बयान पाकिस्तानी मीडिया ने लपक लिया!” ( @AmanChopra_, 24 अप्रैल 2025)।
निष्कर्ष: कोर्ट का फैसला अभिव्यक्ति की आजादी और कानूनी प्रक्रिया के बीच संतुलन दिखाता है। वाड्रा का बयान राजनीतिक और सामाजिक तनाव को हवा दे रहा है। क्या सुप्रीम कोर्ट में जंग होगी, या मामला ठंडा पड़ेगा? आपकी राय क्या है?