'पीटीआई वीडियो' को दिए एक साक्षात्कार में साय ने कहा कि वक्फ बोर्ड की स्थापना मुस्लिम समुदाय के आर्थिक रूप से पिछड़ों और दलित महिलाओं तथा पसमांदा मुसलमानों के उत्थान के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुस्लिम समुदाय के प्रभावशाली लोगों ने वक्फ संपत्तियों को पट्टे पर ले लिया और बड़े मॉल तथा होटल बना लिए। अमीर और अमीर होते गए लेकिन गरीबों को कोई फायदा नहीं हुआ।ALSO READ:
नरेन्द्र मोदी के साहसिक निर्णयों में से एक : उन्होंने कहा कि वक्फ कानून में संशोधन करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साहसिक निर्णयों में से एक है। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी को धन्यवाद देना चाहते हैं, जो कई साहसिक फैसले ले रहे हैं। यह भी उनमें से एक है। इस कानून के आने से निश्चित रूप से उनकी मनमानी रुकेगी और वक्फ बोर्ड पसमांदा मुसलमानों, गरीबों और महिलाओं के उत्थान के लिए काम करेगा।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है और इस संशोधित अधिनियम से यहां आदिवासियों की जमीन भी सुरक्षित रहेगी। वक्फ बोर्ड उनकी (आदिवासियों की) जमीन पर भी नजर नहीं डाल पाएगा। कांग्रेस के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि केंद्र सरकार जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के अपने कदम से राजनीतिक लाभ की उम्मीद कर रही है, साय ने विपक्ष को डूबता जहाज बताया और कहा कि उनके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है।ALSO READ:
कांग्रेस की कथनी और करनी में बहुत अंतर : उन्होंने कहा कि कांग्रेस की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। नेहरू युग से ही जाति आधारित जनगणना की मांग की जा रही है, लेकिन 55-60 साल तक शासन करने के बावजूद कुछ नहीं किया। इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि देश भाग्यशाली है कि उसे ऐसे दूरदर्शी प्रधानमंत्री मिले है, जो सभी 140 करोड़ भारतीयों को परिवार मानते हैं और उनके सुख-दु:ख के लिए दिन-रात काम करते हैं।
साय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 'सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास' और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के आदर्श वाक्य के साथ सबका विकास कर रहे हैं और सबका विश्वास जीत रहे हैं। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना से देश को फायदा होगा। केंद्र ने 30 अप्रैल को घोषणा की कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल किया जाएगा।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta