लिंगेश्वरी माता मंदिर: अनोखी पूजा और मान्यताएँ
Gyanhigyan May 06, 2025 05:42 PM
लिंगेश्वरी माता मंदिर का परिचय

भारत में अनेक मंदिर हैं, लेकिन कुछ अपनी विशेष पहचान के लिए जाने जाते हैं। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित माता लिंगेश्वरी का मंदिर भी इनमें से एक है। यहां भगवान शिव की एक शिवलिंग माता के रूप में स्थापित है। इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि यह साल में केवल एक बार, मात्र 12 घंटों के लिए खुलता है।


लिंगेश्वरी माता मंदिर की विशेषताएँ

1. यह मंदिर कोंडागांव जिले के आलोर गांव से 3 किमी दूर झांटीबन में स्थित है और ऊँचाई पर एक गुफा में बना हुआ है। इसलिए भक्त यहां खड़े होकर नहीं, बल्कि रेंगकर माता के दर्शन करते हैं।


2. हर साल भादो महीने की नवमी तिथि के बाद आने वाले पहले बुधवार को यह मंदिर खोला जाता है। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए आते हैं।



3. मंदिर में खीरे का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसे ग्रहण करने से हर मुराद पूरी होने की मान्यता है। मंदिर में प्रवेश करते ही चारों ओर खीरे की महक महसूस होती है।



4. जिन दंपत्तियों को संतान सुख नहीं मिल रहा, उन्हें यहां आकर माता को खीरे का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इसके बाद उन्हें खीरा अपने नाखूनों से तोड़कर आधा-आधा ग्रहण करना चाहिए।



5. चूंकि मंदिर साल में केवल एक बार खुलता है, यहां भारी भीड़ होती है। इस स्थिति को संभालने के लिए मंदिर समिति और जिला प्रशासन सुरक्षा के लिए तैयार रहते हैं।



6. मंदिर के खुलने पर गुफा के अंदर रेत में उभरे पदचिन्हों के माध्यम से पंडित सालभर की भविष्यवाणी करते हैं।


7. उदाहरण के लिए, रेत पर कमल का निशान धन की वृद्धि, हाथी के पैरों का निशान समृद्धि, और बाघ के पैरों का निशान जंगली जानवरों का आतंक दर्शाता है।



8. यह मंदिर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है, जिससे कुछ लोग यहां आने से हिचकिचाते हैं। लेकिन सच्चे भक्त बिना किसी डर के यहां आते हैं।



9. लिंगेश्वरी माता का मंदिर एक शिवलिंग के साथ है, जहां भगवान शिव माता के रूप में विराजमान हैं। यह शिव और शक्ति का समन्वित स्वरूप है, जिसके कारण इसे लिंगाई माता कहा जाता है।


© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.