पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस जवाबी कार्रवाई का इशारा किया था। वो अब ज़मीन पर उतर चुका है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’(Operation Sindoor) के तहत भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में मौजूद 9 आतंकी अड्डों को निशाना बनाया।
हमले इतने सटीक और तेज़ थे कि दुश्मन को संभलने का मौका तक नहीं मिला। ये सिर्फ जवाब नहीं था। बल्कि एक साफ संदेश था—अब हर हमले की कीमत चुकानी पड़ेगी। आइए इस ऑपरेशन सिंदूर(What is Operation Sindoor) से जुड़ी कुछ खास बातें जान लेते है।
भारतीय वायुसेना ने सोमवार देर रात Operation Sindoor शुरू किया। जिसमें पाकिस्तान के भीतर 4 और PoK में 5 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। अहमदपुर ईस्ट में जैश-ए-मोहम्मद के बड़े अड्डे सुभान मस्जिद के पास एक के बाद एक चार हमले किए गए।
इसी तरह मुजफ्फराबाद की बिलाल मस्जिद, सियालकोट, मुरीदके, कोटकी लोहारा और कोटली जैसे इलाकों में भी भारत के हथियार बरसे। भारत की इस कार्रवाई में लोइटरिंग म्यूनिशन जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने खुद माना कि भारत की तरफ से 24 हमले किए गए।
Operation Sindoor में शामिल सभी जवान और पायलट सुरक्षित लौटे। इस पूरे मिशन की निगरानी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। हमलों से पहले खुफिया एजेंसियों ने ठोस इनपुट दिए और सेना ने उसे जमीनी हकीकत में बदल दिया।रातभर तीनों सेनाएं तालमेल में रहीं। आर्मी, वायु और नौसेना एक साथ मैदान में उतरीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हमले के तुरंत बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों से विस्तार से जानकारी ली।
ऑपरेशन के बाद भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब और UAE जैसे देशों को भी कार्रवाई की पूरी जानकारी दी। NSA अजीत डोभाल ने अमेरिकी NSA और विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बात की। वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने साफ कहा कि ये ऑपरेशन नपी-तुली, जिम्मेदार और उकसावे से दूर था।
जम्मू संभागीय प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से आज जम्मू, सांबा, कठुआ, पुंछ और राजौरी के सभी स्कूल-कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया है। सेना की ब्रीफिंग का समय भी बदलकर सुबह 10:30 बजे कर दिया गया है।
sindoor operation को 2019 में हुए बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई माना जा रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार भारत ने जवाब देने में देर नहीं की। पहलगाम की घटना के महज 14 दिन बाद ही दुश्मन को उसकी ही भाषा में जवाब दे दिया गया।