नई दिल्ली, 8 मई . विश्व थैलेसीमिया दिवस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस बीमारी की रोकथाम, प्रबंधन और जागरुकता पर जोर दिया.
गुरुवार को जेपी नड्डा ने एक्स प्लेटफार्म पर कहा कि यह दिन रोकथाम, शीघ्र निदान और उपचार तक पहुंच के महत्व को उजागर करने का एक अवसर है. इस वर्ष की थीम है- थैलेसीमिया के लिए एक साथ: समुदायों को एकजुट करना, रोगियों को प्राथमिकता देना.
उल्लेखनीय है कि थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त डिसऑर्डर है. इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में बाधित होती है, जिसके कारण एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं. इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है. इसमें रोगी बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहर से खून की आवश्यकता पड़ती है. थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है. यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है. किन्तु माता-पिता में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता. यदि माता-पिता दोनों को माइनर रोग है तब भी बच्चे को यह रोग होने के 25 प्रतिशत संभावना है.
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/ विजयालक्ष्मी