भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज एक बार फिर से सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। तीनों सेनाओं के डीजी सामने आए। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई खुलासे भी किए। इससे पहले वायुसेना ने ये खुलासा किया कि उन्होंने कराची सैन्य अड्डे को भी टारगेट किया था। जिसके बाद भारतीय सेना ने साफ किया कि उन्होंने किसी भी परमाणु स्थल पर हमला नहीं किया। उन्होंने किराना हिल्स(Kirana Hills) पर हमले से साफ इनकार किया है।
आज हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर मार्शल ए.के. भारती(A K bharti air marshal) ने कहा, “हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया।” सोशल मीडिया और ग्लोबल मीडिया की रिपोर्ट्स में दावे किए गए थे कि क्या भारत ने पाकिस्तान के परमाणु भंडारण स्थलों को भी टारगेट करने की कोशिश की है। बता दें कि आज मीडिया ब्रिफिंग में भारतीय सेना से ये सवाल पूछा गया कि क्या उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु भंडारण स्थल पर हमला की कोशिश की? जिसपर उन्होंने सभी अनुमानों, रिपोर्ट्स और अटकलों को सिरे से नकारा है।
आज मीडिया ब्रिफिंग में डायरेक्ट जनरल ऑफ एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल एके भारती, भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) लेफ्टिनेंट राजीव घई और डायरेक्टर जनरल ऑफ नेवल ऑपरेशंस वायस एडमिरल एएन प्रमोद ने बताया कि कैसे तीनों सेनाओं ने मिलकर पड़ोसी मुल्क को नुकसान पहुंचाया है।
किराना हिल्स (kirana hills pakistan) पर पूछे जाने पर एयर मार्शल ए.के.भारती (a k bharti air marshal) ने कहा, “हमें ये बताने के लिए धन्यवाद कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार किराना हिल्स पर जमा किए हैं। चाहे वहां कुछ भी हो। हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया। ये उन लक्ष्यों की सूची में नहीं था। जिनके बारे में हमने आपको बताया था।” बता दें कि किराना हिल्स सरगोधा एयर बेस के करीब है। शायद यहां “परमाणु हथियारों का भंडारण किया जाता है”। दरअसल पाकिस्तान में हाल ही में आए भूकंपों को परमाणु भंडारण स्थल पर हमले से जोड़ा जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु वारहेड्स हैं। इन्हें अलग-अलग जगहों पर रखा गया है। दावा किया जा रहा है कि उन जगहों में से एक जगह किराना हिल्स भी है। किराना हिल्स पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा जिले के दक्षिण-पूर्व में स्थित है । ये एक महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठान है।
शुरुआती चरणों में ये पाक के परमाणु कार्यक्रम का प्रमुख स्थल रहा है। साल 1983 से 1990 के बीच यहां पर कई उप-गंभीर (subcritical) परमाणु परीक्षण किए जा चुके है। 100 वर्ग मील में फैला हुआ ये क्षेत्र भौगोलिक लिहाज से काफी मुश्किल भरा इलाका है। ये पाकिस्तान एयरफोर्स के मुशाफ बेस का हिस्सा है।